झारखंड की तरह बिहार में भी वामदल हुए महागठबंधन से आउट?

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार की लोकप्रियता के सहारे बिहार में खुद को पुर्नजीवित करने की वामदलों, खासकर सीपीआई और सीपीएम, की रणनीति दम तोड़ती नजर आ रही है. भरोसेमंद सूत्र का कहना है कि आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने स्पष्ट संदेश दे दिया है कि महाभारत 2019 में सीपीआई और सीपीएम की भागीदारी की उन्हें कोई जरूरत नहीं है.

सीपीआई के एक कद्दावर नेता ने भी नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, ‘लोकसभा चुनाव में हमलोगों को सीट देने में लालू यादव की कोई रुचि नहीं है. वो नहीं चाहते हैं कि वामदल फिर से बिहार में जिंदा होकर अपने पैरों पर चल सकें.’

पिछले दो सप्ताह से बिहार के वामदलों के कई शीर्ष नेता लालू यादव से मिलने का अथक प्रयास कर रहे हैं. यहां तक कि सीपीआई के मूर्धन्य नेता रहे कमलाकांत मिश्र ‘मधुकर’ की बेटी ने भी मोतिहारी सीट को लेकर भेंट करने की कोशिश की थी. लेकिन आरजेडी सुप्रीमो ने उन सभी से मिलने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है.

स्टेट सेक्रेटरी सत्यनारायण सिंह तथा सीपीआई राष्ट्रीय परिषद के सदस्य राम नरेश पांडेय ने बतौर पर्ववेक्षक बेगूसराय जिला परिषद की बैठक में शिरकत की थी. सत्यनाराण सिंह का कहना है कि किसी सूरत में बेगूसराय लोकसभा सीट से सीपीआई लड़ेगी. कन्हैया कुमार ही उम्मीदवार होंगे. वैसे कुछ दिन पहले बयान जारी कर जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष ने कहा है कि वो चुनाव नहीं लड़ेंगे.

कन्हैया कुमार को बेगूसराय सीट से उम्मीदवार बनाए जाने और वामदलों को महागठबंधन में उचित स्थान देने के सवाल पर सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी तथा सीपीआई नेता डी राजा भी क्रमशः जनवरी 12 और 19 को रांची जेल में लालू यादव से मुलाकात कर चुके हैं. सूत्र बताते हैं कि डी राजा ने आरजेडी सुप्रीमो से रिक्वेस्ट की कि बेगूसराय को जोड़कर कम से कम तीन सीट सीपीआई के लिए छोड़ दें. उसी तरह सीताराम येचुरी ने बिहार के राजनीतिक क्षितिज पर आईसीयू में सांस ले रही अपनी पार्टी के लिए दो लोकसभा सीटों की मांग की है

चारा घोटाले में सजा काट रहे लालू यादव प्रत्येक शनिवार को तीन लोगों से मुलाकात करते हैं. 16 फरवरी को आरजेडी चीफ अपने छोटे बेटे और बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव से मिले. काफी देर तक बातचीत हुई. लेकिन अर्जी लगने के बाद भी वामदलों के नेताओं से मिलने से मना कर दिया.

ऐसी परिस्थति में बिहार की भूमि पर राजनीतिक रूप से सक्रिय तीनों वाम दल क्रमशः सीपीआई, सीपीएम और सीपीआई (एमएल) लिबरेशन अगले महाभारत में एकला तलवार भाजेंगे. कुछ सीटों पर आपसी तालमेल कर सकते हैं. वैसे जानकारी के लिए पड़ोसी राज्य झारखंड में भी महागठबंधन ने वामदलों को लोकसभा की कुल 14 सीटों में से एक सीट भी नहीं दी है, जिसे लेकर वामदलों में नाराजगी है.

वामदल की नाराजगी को दूर करने के लिए झारखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार ने 16 फरवरी को कहा, ‘विधानसभा चुनाव में हमलोग लेफ्ट पार्टियों को उचित जगह और सम्मान देंगे.’

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