इंटरनेट बैन-धारा 144 पर नहीं चलेगी सरकारी मनमर्जी, कश्मीर पर SC के फैसले से हुआ साफ

इंटरनेट पर पाबंदी और लंबे समय तक धारा 144 लागू करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर तल्ख टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर में इंटरनेट बैन और अन्य तरह की पाबंदियों के मामले में सुनवाई के दौरान कहा कि बिना वजह के पूरी तरह इंटरनेट पर रोक नहीं लगाया जा सकता है.

इंटरनेट अभिव्यक्ति के अधिकार का हिस्सा

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘लंबे वक्त तक इंटरनेट पर पाबंदी नहीं लगाया जा सकता. पाबंदियों की कोई पुख्ता वजह का होना जरूरी है. इंटरनेट लोगों की अभिव्यक्ति का अधिकार है. यह आर्टिकल 19 के तहत आता है.’ इसके अलावा कोर्ट ने धारा 144 पर टिप्पणी करते हुए कहा कि देश में कहीं भी लगातार धारा 144 को लागू रखना सरकार द्वारा शक्ति का दुरुपयोग है. साथ ही कोर्ट ने पाबंदी से संबंधित सभी फैसलों को सार्वजनिक करने को कहा है.

अपरिहार्य स्थिति में ही हो इंटरनेट बैन

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर में लगी पाबंदियों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई की. कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने भी इस मामले में ये याचिका दायर की थी. अदालत ने कहा कि इंटरनेट पर पाबंदी सिर्फ उसी स्थिति में लगाया जाय जब ऐसा करना अपरिहार्य हो. अदालत ने कहा कि इंटरनेट पर अनिश्चितकाल के लिए प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है. इंटरनेट पर प्रतिबंध की समय-समय पर समीक्षा होनी चाहिए.

बैन की एक हफ्ते के अंदर हो समीक्षा

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को एक हफ्ते के अंदर इन पाबंदियों की समीक्षा करने को कहा है. कोर्ट ने कहा कि जहां इंटरनेट का दुरुपयोग कम है वहां सरकारी और स्थानीय निकाय में इंटरनेट की सेवा शुरू की जाए. कोर्ट ने सरकार को ई बैंकिंग सेवाएं शुरू करने पर विचार करने को कहा है. 

बता दें कि 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया था. इसके साथ ही केंद्र ने राज्य में इंटरनेट बैन, कर्फ्यू और धारा 144 लागू कर दिया था. कुछ दिन बाद कर्फ्यू हटा लिया गया, लेकिन इंटरनेट बैन और धारा-144 अभी भी जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों में लागू है. कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद समेत कई दूसरे  नेताओं और संस्थाओं ने जम्मू-कश्मीर में इन पाबंदियों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.  


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