आजादी के लिए किसने चुना था 15 अगस्त का दिन, ज्योतिष क्यों थे नाराज?

देश को आजाद हुए 72 साल हो गए हैं. क्या कभी आपने सोचा है कि आखिर भारत की आजादी का दिन 15 अगस्त कैसे तय हुआ? ये दिन किसने तय किया? बता दें, 15 अगस्त की  तारीख को तय करने के पीछे एक रोचक किस्सा है. आइए जानते हैं इसके बारे में.

आजादी के लिए किसने चुना था 15 अगस्त का दिन, ज्योतिष क्यों थे नाराज?

भारत की आजादी पर लिखी गई बेहद चर्चित किताब “फ्रीडम एट मिडनाइट” में इसका जिक्र है. इस किताब में लिखा है कि कैसे “माउंटबेटन ने कहा था- ‘मैंने सत्ता सौंपने की तिथि तय कर ली है. ये तिथि है 15 अगस्त 1947.”

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क्या है 15 अगस्त की तारीख तय होने का किस्सा

ये भारत के आजाद होने से करीब ढाई महीने पहले का किस्सा है. जब लॉर्ड माउंटबेटन महात्मा गांधी को भारत के बंटवारे के लिए मना चुके थे. और सारी चीजें उनके पक्ष में हैं. ऐसे में लॉर्ड माउंटबेटन एक प्रेस कॉफ्रेंस करते हैं जिसमें वह बताते हैं कि किस तरह से करोड़ों लोगों का विस्थापन होगा और किस तरह से भोगौलिक आधार पर दोनों मुल्कों ( पाकिस्तान और भारत) को बांटा जाएगा.

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ये सब जानकारी जनता से साझा करने के लिए लॉर्ड माउंटबेटन एक बड़ी प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन करते हैं. जिसमें देश और दुनिया के तमाम नामी पत्रकार शामिल होते हैं.

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जब ये प्रेस कांफ्रेंस अपने अंतिम चरण में होती है तब एक पत्रकार एक सवाल पूछता है. ये सवाल था-” जब आप अभी से भारत को सत्ता सौपें जाने वाले समय तक के कार्यों में तेजी लाने की बात कर रहे हैं तो क्या आपने वो तिथि तय की है जब भारत सत्ता सौपीं जाएगी?

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ये सवाल सुनकर माउंटबेटन थोड़ी हरकत में आते हैं और वह बोलते हैं “हां यकीनन ये दिन तय हो गया है.” इसके बाद जब पत्रकार पूछता है “आखिर वह दिन है कौनसा”? तो माउंटबेटन कुछ भी जवाब नहीं दे पाते. दरअसल उन्होंने कोई भी तिखि तय नहीं की थी.

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ऐसे में पूरे सभागार में सन्नाटा छा जाता है. हर कोई उस तिथि को जानने के लिए उत्सुक था जब भारत आजाद होने वाला था.

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इधर माउंटबेटन इस सूझबूझ में लगे रहते हैं आखिर वह कौन सा दिन बताए. तिथि को लेकर उन्होंने काफी सोच विचार किया. दिमाग में तमाम तिथियां भी घूमी. कभी वह सोचते सितंबर के बीच में, सितंबर अंत में या 15 अगस्त के बीच में. 

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जब लॉर्ड माउंटबेटन तमाम तिथियों के बारे में सोच रहे थे. तभी एक तिथि उनके दिमाग में अटक गई. ये तिथि थी 15 अगस्त 1947.

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इसके बाद लॉर्ड माउंटबेटन बड़े उत्साह से कहते हैं “मैंने तिथि तय कर ली है और ये तिथि है 15 अगस्त 1947”. इसी के साथ वह दिन तय हो जाता है जब भारत को अंग्रेजों की सैकड़ों साल की गुलामी से आजादी मिलने वाली होती है.

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ज्योतिषियों ने जताई निराशा

जब ये बात देश की ज्योतिषियों को पता चलती है तो कि 15 अगस्त को देश आजाद होने वाला है तो उनमें हड़कप मच जाता है. और वह इस तारीख का जबरदस्त विरोध करते हैं. दरअसल 15 अगस्त को शुक्रवार था. और ज्योतिषियों का मानना यदि इस दिन भारत आजाद होता है तो कोहराम मच जाएगा. नरसंहार होंगे. ये बहुत ही अपशकुन हैं.

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कलकत्ता (कोलकाता) के संत ने तो लॉर्ड माउंटबेटन को चिट्ठी लिख डाली और कहा कि आप 15 अगस्त को तय की भारत की आजादी की तिथि को बदल दें. या आप ये तिथि आगे या पीछे कर दें. लेकिन लॉर्ड माउंटबेटन नहीं माने.

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लॉर्ड माउंटबेटन का 15 अगस्त की तारीख पर अड़े रहने का एक खास कारण था. ये कारण था जब माउंटबेटन बर्मा में ब्रिटिश सेना का नेतृत्व कर रहे थे जब जापान ने उनके सामने बिना किसी शर्त के आत्मसमर्पण किया था. आपको बता दें, दूसरे विश्व युद्ध के दौरान 1945 में 15 अगस्त के दिन ही जापान ने ब्रिटेन के सामने आत्मसमर्पण किया था. लॉर्ड माउंटबेटन उस समय ब्रिटिश सेना के कमांडर थे. 

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वह जापान के आत्मसमर्पण को अपनी विजय के रूप में देख रहे थे. और उन्हें लगा कि अब खास विजय की दूसरी वर्षगांठ के मौके पर भारत को आजाद किया जाए. और इस तरह वह दिन तय हुआ जब भारत को आजादी मिली. सत्ता मिली. स्वाधीनता मिली. 

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