मुश्किल में HAL! कर्मचारियों का वेतन देने तक को पैसे नहीं

दरअसल 2000 के करीब ये छोटे उद्योग अपनी आर्थिक स्थिति के लिए पूरी तरह से एचएएल पर निर्भर हैं। यदि एचएएल के सामने पैसों का संकट खड़ा होगा तो यकीनन इन छोटी बड़ी कंपनियों पर भी इसका असर पड़ना स्वभाविक हैदरअसल 2000 के करीब ये छोटे उद्योग अपनी दरअसल 2000 के करीब ये छोटे उद्योग अपनी आर्थिक स्थिति के लिए पूरी तरह से एचएएल पर निर्भर हैं। यदि एचएएल के सामने पैसों का संकट खड़ा होगा तो यकीनन इन छोटी बड़ी कंपनियों पर भी इसका असर पड़ना स्वभाविक है
इस बकाए में से 14500 करोड़ रुपए अकेले वायुसेना पर बकाया है, वहीं बची हुई रकम भारतीय सेना, नौसेना और कोस्ट गार्ड पर बकाया है।एचएएल का बिजनेस अधिकांशतः मिनिस्टरी ऑफ डिफेंस पर निर्भर है, जो कि एचएएल को सुरक्षा बलों से संबंधित कामों की जिम्मेदारी देती है। एचएएल के सीएमडी का कहना है कि एचएएल हमेशा से ही पैसों के मामले में धनी रही है, लेकिन यह पहली बार है कि उन्हें पैसा उधार लेना पड़ा है। एचएएल का एक माह का खर्च करीब 1300-1400 करोड़ रुपए है, जिसमें से 358 करोड़ रुपए कर्मचारियों की सैलरी देने में खर्च होते हैं। एचएएल के पास पैसे की कमी के कारण उसके वेंडर्स, जो कि छोटे और मध्यम दर्जे के उद्योग हैं, उन्हें भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

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