दिल्ली चुनाव : ओखला में ओवैसी ने क्या अमानतुल्लाह ख़ान की मुश्किलें बढ़ा दी हैं ? प्रत्याशी जेल में बंद हैं और उनकी पत्नी वोट मांग रही हैं

असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने दिल्ली की दो सीट- ओखला और मुस्तफ़ाबाद पर उम्मीदवार उतारे हैं. दोनों उम्मीदवार दिल्ली दंगों के अभियुक्त हैं

“केजरीवाल कभी मुसलमानों के मुद्दे पर बात नहीं करते हैं. दिल्ली, बहराइच और संभल में हुई सांप्रदायिक हिंसा पर केजरीवाल ने कुछ नहीं बोला. मुसलमानों ने केजरीवाल को भर-भरकर वोट दिया लेकिन आज केजरीवाल दिल्ली में कितनी मुस्लिम बहुल विधानसभाओं में प्रचार के लिए जा रहे हैं. तो आम आदमी पार्टी और बीजेपी में क्या फ़र्क़ है?”

सबा इसरार जब यह बात बोल रहे थे तब उनके चेहरे पर ग़ुस्सा और निराशा एक साथ साफ़ देखी जा सकती थी. इसरार ओखला विधानसभा के वोटर हैं.

ओखला के बटला हाउस इलाक़े में दाखिल होते ही पीले और हरे रंग के झंडे दिखाई देने लगते हैं. बीच-बीच में कांग्रेस के प्रचार वाहन भी दिखाई देते हैं और इक्का-दुक्का दुकानों पर बीजेपी के झंडे लगे हैं.

ओखला विधानसभा सीट मुस्लिम बहुल है. यहां 50 फ़ीसद से अधिक निर्णायक मुस्लिम मतदाता हैं. बीते दो चुनाव में यहां आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच सीधा मुक़ाबला रहा है. इस बार ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन भी यहां से चुनाव लड़ रही है, जिससे चुनाव दिलचस्प हो गया है.

आम आदमी पार्टी ने मौजूदा विधायक अमानतुल्लाह ख़ान और बीजेपी ने मनीष चौधरी को उम्मीदवार बनाया है. वहीं, एआईएमआईएम ने दिल्ली दंगों के अभियुक्त और जेल में बंद शिफ़ा-उर रहमान को मैदान में उतारा है.

कांग्रेस ने ओखला से युवा महिला चेहरा अरीबा ख़ान को टिकट दिया है. वह ओखला के अबुल फ़ज़ल एन्क्लेव वार्ड से काउंसलर (पार्षद) हैं.

नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) के ख़िलाफ़ इसी ओखला सीट के शाहीन बाग इलाक़े में विरोध प्रदर्शन हुआ था. इस दौरान 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोटर आप के साथ थे. लेकिन दिल्ली दंगों के बाद यह ट्रेंड बदला है और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) चुनाव में कांग्रेस को बढ़त मिली थी.

मुस्लिम वोटर किसके साथ?

25 साल के युवा मोहम्मद सालिब अंसारी बटला हाउस बाज़ार में कपड़े की दुकान चलाते हैं. दोपहर का वक़्त है और दुकान से ग्राहक नदारद हैं. उनका कहना है कि ओखला में जिसकी लहर चल रही है, मुसलमान उसके साथ हैं.

मोहम्मद सालिब बताते हैं, “यहाँ तीन मुस्लिम उम्मीदवार हैं. हमारे वोट न बँटे इसलिए हम चाहते हैं कि मुसलमान अमानत को ही वोट दें. यहां 50 प्रतिशत से ज़्यादा मुस्लिम वोटर हैं. यहां लगभग 35 प्रतिशत वोट पाकर उम्मीदवार जीत जाते हैं. अगर हमने आप को छोड़कर किसी और को वोट दिया तो बीजेपी जीत जाएगी. इसे आप हमारी मजबूरी भी कह सकते हैं.”

हालांकि, नासिर ख़ान की राय सालिब से अलग है. नासिर कहते हैं, ” चाहे मुसलमानों की बात हो, संविधान की बात हो या दलितों की बात हो. राहुल गांधी लगातार इन मुद्दों को उठाते रहते हैं. फिर कांग्रेस को वोट क्यों नहीं करना चाहिए.”

ओखला विधानसभा में नगर निगम के पाँच वॉर्ड आते हैं. साल 2022 में एमसीडी चुनाव हुए थे और तब आम आदमी पार्टी सिर्फ़ एक सीट (मदनपुर खादर ईस्ट) जीत पाई थी. कांग्रेस ने मुस्लिम मतदाता बहुल ज़ाकिर नगर और अबुल फ़ज़ल एन्क्लेव जीते थे. बीजेपी ने सरिता विहार और मदनपुर खादर वेस्ट वॉर्ड पर जीत हासिल की थी.

हालांकि, शाहीन बाग के रहने वाले ख़ालिद विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए मुक़ाबला मुश्किल मानते हैं.

ख़ालिद का कहना है, “पिछली बार कांग्रेस को पूरी दिल्ली के अंदर पिछली बार पांच प्रतिशत वोट मिला था और कोई सीट नहीं मिली थी. इस बार एक-दो प्रतिशत वोट बढ़ सकते हैं लेकिन कोई सीट नहीं आ रही है. ऐसे में ओखला के लोग कांग्रेस को क्यों वोट देंगे. मुक़ाबला बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच में है. ओवैसी भी दो-तीन सीटों पर लड़ रहे हैं. वह सारी सीट जीत भी जाएं तो क्या कर लेंगे?”

लेकिन केजरीवाल पर भी सॉफ़्ट हिन्दुत्व का आरोप लगता है. ख़ालिद इसके जवाब में कहते हैं, “इसमें कोई शक नहीं है कि मुसलमानों के पास विकल्प नहीं है. कांग्रेस हमारे दिल में हो सकती है लेकिन दिमाग़ हमारा सीट जिताने पर है.”

दिल्ली चुनाव में एआईएमआईएम अध्यक्ष असद्दुदीन ओवैसी भी प्रचार में जुटे हैं. 23 जनवरी की शाम ओवैसी पहले शाहीन बाग के 40 फुटा रोड पर पैदल चले और इसके बाद उन्होंने जनसभा को संबोधित किया. इस दौरान अरविंद केजरीवाल और अमानतुल्लाह ख़ान उनके निशाने पर थे.

ओखला में ठीक-ठाक संख्या में ओवैसी के समर्थक दिख रहे हैं. ज़्यादातर समर्थक कैमरे पर बातचीत करने से बचते हैं. कुछ कैमरे पर बातचीत करते हैं और वो अमानतुल्लाह ख़ान से नाराज़ दिखाई पड़ते हैं.

22 साल के मुशीर ख़ान अपने परिवार के साथ बटला हाउस में होटल चलाते हैं. उनका मानना है कि ओखला में सिर्फ़ पतंग (एआईएमआईएम का चुनाव चिह्न) उड़ रही है.

मुशीर कहते हैं, “पतंग यहाँ उड़ रही है और झाड़ू, पंजे सबको काट देगी. शिफ़ा-उर रहमान पिछले पांच साल से कौम की वजह से जेल में हैं. बीजेपी हो या कांग्रेस, दोनों पार्टी बताएं कि उन्होंने कौम के लिए क्या किया है. अगर सीएए-एनआरसी लागू हो जाती तो हम सब अपनी फ़ाइल ढूंढ रहे होते. उसे पूरा ओखला भूल गया था लेकिन ओवैसी साहब ने उन्हें टिकट दिया है. अगर आवाम एकजुट होकर वोट डालेगी तो शिफ़ा-उर रहमान ही जीतेंगे.”

धीरे-धीरे शाम हो रही है और ओखला के बाज़ार में महिलाओं की संख्या भी बढ़ने लगी है. ओखला की रहने वालीं रहने आरज़ू का कहना है कि यहां सड़कें वगैरह सही नहीं हैं लेकिन मैं केजरीवाल को सपोर्ट करूंगी.

समर्थन के पीछे की वजह बताते हुए आरज़ू कहती हैं, “हाउसवाइफ़ को केजरीवाल सरकार में बहुत सहूलियत है. बस में यात्रा फ्री है. कुछ मुस्लिम परिवारों में महिलाओं को नौकरी नहीं करने दी जाती है. अब केजरीवाल 2100 रुपए देने की बात कर रहे हैं. ऐसे में हाउसवाइफ़ को बहुत मदद मिलेगी.”

लेकिन महिलाओं को पैसे देने की बात बीजेपी और कांग्रेस भी कर रहे हैं. इस पर आरज़ू कहती हैं, “बीजेपी कई शर्तें लगा देती हैं जैसे- उनकी आय न हो, ख़ुद का घर न हो. इससे हर महिला को पैसे नहीं मिलते हैं. केजरीवाल अभी सुविधाएं दे रहे हैं इसलिए उन पर भरोसा है.”

मुस्लिम बहुल इलाक़ों में बमुश्किल से बीजेपी समर्थक दिखते हैं लेकिन सरिता विहार, मदनपुर खादर और जसोला में हिंदू मतदाता अच्छी-ख़ासी संख्या में हैं.

तेजवीर चौधरी लॉ ग्रेजुएट हैं और इस चुनाव में वह बीजेपी को सपोर्ट कर रहे हैं.

तेजवीर का कहना है, “10 साल में अमानतुल्लाह ख़ान दस बार भी हमारे यहां नहीं आए हैं. हमारे यहां कोई विकास नहीं हुआ है. वो पत्रकारों से भी बदतमीजी कर रहे हैं और केजरीवाल कुछ बोल नहीं पाते हैं. अमानतुल्लाह के अंदर घमंड आ चुका है और बीजेपी इस बार उनका घमंड तोड़ेगी.”

मेरा मुक़ाबला बीजेपी से है: अमानतुल्लाह ख़ान

अमानतुल्लाह ख़ान पिछले दो बार (2015 और 2020) से ओखला सीट पर विधायक हैं. 2015 में उन्होंने एक लाख चार हज़ार से ज़्यादा वोट हासिल किए थे और जीत का अंतर 64 हज़ार 352 मत थे.

2019 में इस विधानसभा में आने वाले शाहीन बाग इलाक़े में नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) को लेकर विरोध प्रदर्शन हुआ था. तब विरोध प्रदर्शन पर आम आदमी पार्टी के रवैए पर सवाल उठे थे.

बावजूद इसके अमानतुल्लाह ख़ान को 2015 की तुलना में ज़्यादा वोट मिले थे. 2020 में उन्हें एक लाख तीस हज़ार से ज़्यादा वोट मिले और जीत का अंतर 71 हज़ार 827 मत था.

आम आदमी पार्टी के इस प्रदर्शन की एक वजह तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के एक बयान को माना गया था.

चुनाव से पहले 25 जनवरी 2020 को अमित शाह ने दिल्ली में बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था, “चुनावों में इतनी ज़ोर से बटन दबाना कि करंट शाहीन बाग़ में लगे.”

अब पांच साल बाद इलाक़े में चुनाव हैं और अमानतुल्लाह ख़ान के सामने बीजेपी के अलावा एआईएमआईएम भी एक बड़ी चुनौती है. हालांकि उनका मानना है कि आप का सीधा मुक़ाबला बीजेपी से है.

बीबीसी से बातचीत में अमानतुल्लाह ख़ान कहते हैं, “बीजेपी हमारे वोटों को बाँटने की कोशिश कर रही है लेकिन वो इसमें क़ामयाब नहीं होंगे. पिछले दो चुनाव में हमने भाजपा को हराया था और इस बार भी हमारा मुक़ाबला सीधे भाजपा से है.”

इसके बाद असदुद्दीन ओवैसी और ओखला में उनके प्रत्याशी के सवाल पर अमानतुल्लाह ख़ान चुप्पी साध लेते हैं.

वहीं, भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार मनीष चौधरी का कहना है कि उन्हें चुनौती एआईएमआईएम के शिफ़ा-उर रहमान से मिल रही है. मनीष ने छात्र राजनीति से अपने करियर की शुरुआत की थी.

2007 में वह कांग्रेस की स्टूडेंट विंग एनएसयूआई के टिकट पर दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र संघ सचिव चुने गए थे. 2020 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले वह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे.

मनीष चौधरी बताते हैं, “ओखला में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी के प्रति लोगों में नाराज़गी है. सड़कें टूटी हैं, सीवर बह रहे हैं और पीने का पानी नहीं है. इसलिए आप से हमारी लड़ाई नहीं है. जो हमें दिख रहा है उससे लग रहा है कि हमारी लड़ाई एमआईएम से है.”

एमआईएम से फ़ाइट कैसे है? वह तो पहली बार चुनाव लड़ रही है. क्या आप चाहते हैं कि एमआईएम को फ़ाइट में बताकर मुस्लिम वोटों का बँटवारा किया जाए?

इस सवाल के जवाब में मनीष चौधरी कहते हैं, “मौजूदा विधायक को लोग वोट देना नहीं चाहते हैं और जनता एमआईएम की तरफ़ जा रही है. इसलिए हमारा सीधा मुक़ाबला ओवैसी की पार्टी से है.”

प्रत्याशी शिफ़ा-उर रहमान जेल में बंद हैं और उनकी पत्नी नूरीन फ़ातिमा इलाक़े में जनसंपर्क कर वोट मांग रही हैं

एआईएमआईएम प्रत्याशी शिफ़ा-उर रहमान जेल में बंद हैं और उनकी पत्नी नूरीन फ़ातिमा इलाक़े में जनसंपर्क कर वोट मांग रही हैं.

हमारी मुलाक़ात नूरीन से तब हुई जब वह नून नगर में एक नुक्कड़ सभा को संबोधित कर रही थीं. सभा के दौरान नूरीन बार-बार जेल में बंद पति का ज़िक्र करतीं और लोगों से पतंग चुनाव चिह्न पर वोट देने की भावुक अपील करती हैं.

क्या आपकी पार्टी एआईएमआईएम ओखला में वोट कटवा है?

नूरीन फ़ातिमा का जवाब था, “मेरे हिसाब से आम आदमी पार्टी और कांग्रेस हमारे वोट काट रही हैं. ये लोग क्या चाहते हैं कि क्या कोई चुनाव ही न लड़े. हम वोट कटवा पार्टी नहीं हैं और यहां से जीत रहे हैं.”

कांग्रेस उम्मीदवार अरीबा ख़ान आसिफ़ मोहम्मद ख़ान की बेटी हैं. आसिफ़ ओखला से दो बार के विधायक और इसी इलाके़ में दो बार काउंसलर (पार्षद) रह चुके हैं. पूर्व में बीजेपी नेता और अब बिहार के राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद ख़ान अरीबा के ताऊ हैं.

चुनाव के बारे में अरीबा कहती हैं, “हरियाणा चुनाव में पता चल गया है कि आम आदमी पार्टी ही असली वोट कटवा है. वहां आपकी ज़मानत जब्त हो गई और कई सीटों पर आपने कांग्रेस को नुक़सान पहुंचाया. यही काम ओवैसी कर रहे हैं. हम शीला जी की तरह मज़बूती से काम करेंगे. केजरीवाल की तरह नहीं रोएंगे कि एलजी काम नहीं करने दे रहे हैं.”

क्या खाता खोल पाएगी बीजेपी?

साल 1993 से लेकर अब तक ओखला विधानसभा सीट पर आठ बार चुनाव हो चुके हैं. जनता दल, कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल और आम आदमी पार्टी इस सीट पर जीत हासिल कर चुकी है लेकिन बीजेपी का खाता नहीं खुला है.

इलाक़े में परवेज़ हाशमी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं. वह इस सीट पर 1993 से लेकर 2008 तक चार बार (एक बार जनता दल और तीन बार कांग्रेस) विधायक रह चुके हैं.

2009 में परवेज़ हाशमी राज्यसभा पहुंचे और इसके बाद ओखला सीट पर उपचुनाव हुए. उपचुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के टिकट पर आसिफ़ मोहम्मद ख़ान पहली बार विधायक चुने गए.

आसिफ़ मोहम्मद 2013 में भी चुनाव जीते लेकिन कांग्रेस के टिकट पर. 2015 से यहां आम आदमी पार्टी के अमानतुल्लाह ख़ान विधायक हैं.

बीजेपी उम्मीदवार मनीष चौधरी दावा करते हैं, “मैं विधानसभा इलाक़े में पार्षद रह चुका हूं और मुझे सभी वर्ग पसंद करते हैं. कई बार मुझे पार्टी लाइन से हटकर भी वोट करते हैं इसलिए भाजपा यह सीट जीतने जा रही है.”

पिछले चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार ब्रह्म सिंह लगभग 59 हज़ार वोट पाकर दूसरे नंबर पर रहे थे. यह ओखला में बीजेपी का अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन है.

Credit & Source BBC Hindi

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