योगी सरकार के मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या के इस्तीफे के बाद अन्य असंतुष्ट विधायकों ने भी भाजपा को दिए झटके, अखिलेश यादव ने किया सपा में स्वागत

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 की तारीखों का एलान होते ही सत्ताधारी दल भाजपा के असंतुष्ट नेताओं ने अपने लिए सुरक्षित ठिकाने की तलाश शुरू कर दी है. इस क्रम में मंगलवार को योगी सरकार में मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या ने भाजपा को झटका देते हुए समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया. उनके साथ तीन और भाजपा विधायक सपा के पाले में चले गए हैं. स्वामी प्रसाद मौर्या वर्ष 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले बसपा का साथ छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे.

कानपुर देहात विधायक भगवती सिंह सागर, बांदा के तिंदवारी से विधायक ब्रजेश प्रजापति, शाहजहांपुर के तिलहर से विधायक रोशनलाल वर्मा भाजपा छोड़कर साइकिल पर सवार हो गए हैं.

कानपुर देहात विधायक भगवती सिंह सागर, बांदा के तिंदवारी से विधायक ब्रजेश प्रजापति, शाहजहांपुर के तिलहर से विधायक रोशनलाल वर्मा भाजपा छोड़कर साइकिल पर सवार हो गए हैं. कई अन्य विधायकों के भी भाजपा छोड़ने की चर्चा है. इनमें मधुबन विधायक दारा सिंह चौहान, चंदौली विधायक सागर प्रसाद, सहारनपुर के नाकुर से विधायक धर्म सिंह सैनी, मतेश शाक्य, विनय शाक्य, धर्मेन्द्र शाक्य ओर नीरज मौर्य के नाम शामिल हैं.

तिलहर विधायक रोशनलाल वर्मा ने कहा, स्वामी प्रसाद मौर्य जहां जाएंगे मैं उनके साथ रहूंगा. उन्होंने योगी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि हमारी उपेक्षा हुई है. यूपी में भाजपा की सरकार नहीं अधिकारियों की सरकार थी. लोक भवन में दो-दो घंटे बैठाया जाता था. रोशनलाल वर्मा ने मंत्री सुरेश खन्ना पर भी उपेक्षा का आरोप लगाया. स्वामी प्रसाद मौर्या योगी सरकार में श्रम, सेवायोजन एवं समन्वय मंत्री थे.

स्वामी प्रसाद मौर्य ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को लिखे अपने पत्र में कहा है कि उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के मंत्रिमंडल में श्रम, सेवायोजन एवं समन्वय मंत्री के रूप में विपरीत परिस्थितियों और विचारधारा में रहकर भी बहुत ही मनोयोग के साथ उत्तरदायित्व का निर्वहन किया. लेकिन दलितों, पिछड़ों, किसानों बेरोजगार, नौजवानों एवं छोटे-लघु एवं मध्यम श्रेणी के व्यापारियों की घोर उपेक्षात्मक रवैये के कारण यूपी के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे रहे हैं.

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