Dev Uthani Ekadashi 2019 Date, Puja Vidhi, Muhurat, Mantra: देवोत्थान एकादशी आज, जानिए पूजा विधि, कथा, आरती और शुभ मुहूर्त

देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) का विशेष धार्मिक महत्‍व है. हिन्‍दू मान्‍यताओं के अुनसार सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्‍णु चार महीने तक सोने के बाद देवउठनी एकादशी के दिन जागते हैं. इसी दिन भगवान विष्‍णु शालीग्राम रूप में तुलसी से विवाह (Tulsi Vivah) करते हैं. देवउठनी एकादशी (Ekadashi) से ही सारे मांगलिक कार्य जैसे कि विवाह, नामकरण, मुंडन, जनेऊ और गृह प्रवेश की शुरुआत हो जाती है. 

देवउठनी एकादशी या तुलसी विवाह कब है?
हिन्‍दू पंचांग के अनुसार देवउठनी एकादशी या तुलसी विवाह कार्तिक माह की शुक्‍ल पक्ष एकादशी को मनाया जाता है. अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक यह एकादशी हर साल नवंबर में आती है. इस बार देवउठनी एकादशी या तुलसी विवाह 8 नवंबर 2019 को है.

देवउठनी एकादशी तिथि और शुभ मुहूर्त
देवउठनी एकादशी की तिथि: 8 नवंबर 2019
एकादशी तिथि आरंभ: 07 नवंबर 2019 की सुबह 09 बजकर 55 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त: 08 नवंबर 2019 को दोपहर 12 बजकर 24 मिनट तक 

Devuthani ekadashi 2019: देवोत्थानी एकादशी को भगवान विष्णु योग निद्रा से जाग जाएंगे। शुक्रवार को भगवान के जागते ही विवाह और अन्य शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाएगी। भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाएगी, वहीं तुलसी विवाह का भी आयोजन होगा।

भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को निद्रा में चले जाते हैं और कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन उठते हैं। इसके साथ ही आचार्य ब्रह्मदत्त शुक्ला का कहना है कि श्रीहरि की निद्रा खुलने के दिन को देवोत्थान या देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी पुकारा जाता है। मान्यता है कि देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में चार माह शयन के बाद जागते हैं। इसके साथ ही भगवान विष्णु के शयनकाल के चार मास में विवाह व अन्य मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं।

पूजा-अर्चना ‘ देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में चार माह शयन के बाद जागते हैं ‘ भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निद्रा में चले जाते  पूजा में सफाई का ध्यान रखें पंडित मनोज कुमार द्विवेदी का कहना है कि प्रबोधिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन और उनके जागने का आह्वान किया जाता है। इस दिन प्रात: काल उठकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। साथ ही भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए। घर की साफ-सफाई व स्नान के बाद आंगन में भगवान विष्णु के चरणों की आकृति बनाना चाहिए। एकओखली में गेरू से चित्र बनाकर फल, मिठाई, बेर, सिंघाड़े, ऋतुफल और गन्ना उस स्थान पर रखकर उसे डलिया से ढक देना चाहिए। 

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