औरंगज़ेब पर विवाद और उनकी कब्र को लेकर नागपुर में हिंसा हुई थी. अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने इस विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.
रविवार को दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि इस देश के इतिहास के साथ किसको जोड़ना है, ये हमें सोचना चाहिए.

होसबाले ने यह बयान कर्नाटक के बेंगलुरु में आयोजित आरएसएस की तीन दिवसीय बैठक के आख़िरी दिन एक सवाल के जवाब में दिया.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक उन्होंने कहा, “इतिहास में कई घटनाएं घटी हैं. औरंगज़ेब के बारे में दिल्ली में औरंगज़ेब मार्ग था, उसको बदलकर अब्दुल कलाम रोड किया. उसका कुछ मक़सद है ना?”
दत्तात्रेय होसबाले ने कहा, “गंगा-जमुनी संस्कृति की बात करने वालों ने औरंगज़ेब के भाई दारा शिकोह को कभी आदर्श नहीं बनाया. इसलिए मुद्दा ये है कि भारत में यहां की मिट्टी, यहां की संस्कृति के साथ जो लोग रहे हैं, उनको आदर्श बनाना है या उन्हें जो भारत के खिलाफ़ चले.”
उनका कहना है कि “सिर्फ अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ लड़ी गई लड़ाई स्वतंत्रता आंदोलन नहीं था. अंग्रेज़ों के पहले जो आक्रांता थे, उनके ख़िलाफ़ भी स्वतंत्रता आंदोलन ही था.”
उन्होंने कहा कि इसमें विदेशी, स्वदेशी या धर्म की बात नहीं है.
अपने जवाब में महाराणा प्रताप का ज़िक्र करते हुए होसबाले ने कहा, “राणा प्रताप ने जो किया, वो भी स्वतंत्रता आंदोलन ही था. इसलिए आक्रमणकारी मानसिकता के लोग आज भी अगर हैं, तो वो देश के लिए खतरा हैं. हमें किसके साथ अपने देश के इतिहास को जोड़ना है, वो (सोचना) चाहिए.”
महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर ज़िले (पहले औरंगाबाद) के खु़ल्दाबाद में सत्रहवीं सदी के मुग़ल शासक औरंगज़ेब की कब्र है.
पिछले कुछ समय से विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल समेत कुछ हिन्दूवादी संगठन इस कब्र को हटाने की मांग कर रहे हैं.
बीते दिनों इस मांग को लेकर इन संगठनों ने पूरे महाराष्ट्र में विरोध प्रदर्शन किए और इस दौरान नागपुर में हिंसा भड़की थी.