उत्तर और दक्षिण भारत को लेकर बीते कुछ वक़्त से छिड़ी बहस पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रतिक्रिया आई है.
आरएसएस ने चिंता व्यक्त की है कि राष्ट्रीय एकता को चुनौती देने वाली ताकतें इस तरह के मुद्दे उठा रही हैं. साथ ही मणिपुर को लेकर भी चिंता जाहिर की है.

आरएसएस के संयुक्त महासचिव मुकुंद सी आर का यह बयान बेंगलुरु में अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के तीन दिवसीय सत्र की शुरुआत के दौरान आया है.
महासचिव ने कहा, “हमारी चिंता उन ताकतों को लेकर है जो राष्ट्रीय एकता को चुनौती दे रही हैं, खासकर उत्तर-दक्षिण विभाजन और भाषा मुद्दे को उठा रही हैं. हमें लगता है कि इनमें से ज़्यादातर राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं.”
मुकुंद कहते हैं, “जब बात परिसीमन की आती है, तो हमारे गृह मंत्री (अमित शाह) कहते हैं कि जब भी परिसीमन का फ़ैसला लिया जाएगा, तो ये अनुपात के आधार पर होगा.”
मुकुंद ने साथ ही मणिपुर को लेकर भी चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा, “हमारे संगठन को इस बात की चिंता है कि पिछले 20 महीनों से मणिपुर बहुत बुरे दौर से गुज़र रहा है.”
उन्होंने कहा, “केंद्र सरकार के राजनीतिक और प्रशासनिक कदमों से उम्मीद है. लेकिन एक संगठन के तौर पर हमें लगता है कि प्राकृतिक माहौल बनने में काफी समय लगेगा.”
देश में आरएसएस शाखाओं की संख्या पिछले साल 10 हज़ार बढ़कर 83,129 हो गई है.
साल 2012 से अब तक 12लाख 23 हज़ार 423 से ज़्यादा कार्यकर्ता आरएसएस की गतिविधियों में शामिल हो चुके हैं. देश में कुल मिलाकर एक करोड़ कार्यकर्ता सक्रिय हैं.
आरएसएस ने कुंभ की सराहना करते हुए कहा कि कुंभ ने भारत की आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक धरोहर का अद्भुत नज़ारा पेश किया है.