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20 हजार करोड़ रुपए के टैक्स विवाद में वोडाफोन की जीत, 2016 में सिंगापुर की इंटरनेशनल कोर्ट गई थी कंपनी

Bucharest, Romania - December 09, 2019: A logo of Vodafone, British telecommunications company, is seen on the top of Globalworth Tower building, in Bucharest. This image is for editorial use only.

टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन ने 20 हजार करोड़ रुपए के टैक्स विवाद के मामले में भारत सरकार को हराकर केस जीत लिया है। कंपनी ने शुक्रवार को बताया कि उसे सिंगापुर के एक इंटरनेशनल कोर्ट में 12 हजार करोड़ रुपए के बकाए और 7,900 करोड़ रुपए के जुर्माने के मामले में भारत सरकार के खिलाफ जीत मिली है।

वोडाफोन के लिए यह बहुत ही राहत की बात है, क्योंकि कंपनी को भारत में 53 हजार करोड़ रुपए एजीआर के तौर पर अगले दस साल तक चुकाने हैं।

कंपनी का शेयर 13.60% बढ़ा

इस फैसले के बाद बीएसई में कंपनी का शेयर 13.60 फीसदी बढ़कर 10.36 रुपए पर बंद हुआ। वोडाफोन ने 2016 में भारत सरकार के खिलाफ सिंगापुर के इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर यानी अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र के पास याचिका दाखिल की थी। यह विवाद लाइसेंस फीस और एयरवेव्स के इस्तेमाल पर रेट्रोएक्टिव टैक्स क्लेम को लेकर शुरू हुआ था।

संधियों के खिलाफ है भारत सरकार की मांग

इंटरनेशनल कोर्ट ने कहा कि भारत के टैक्स विभाग ने जो भी देनदारी, ब्याज और पेनाल्टी लगाई गई है, वह भारत और नीदरलैंड के बीच हुई इन्वेस्टमेंट ट्रीटी के नियमों फेयर गारंटी और बराबर के ट्रीटमेंट के खिलाफ है। वोडाफोन इंटरनेशनल होल्डिंग की ओर से वकील अनुराधा दत्त ने पैरवी की।

सुप्रीम कोर्ट ने भी इसी तरह का फैसला दिया था

उन्होंने कहा कि वोडाफोन की यह दूसरी जीत है। इससे पहले 2012 में इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी इसी तरह का फैसला दिया था। इस फैसले के बाद वोडाफोन ने कहा कि अंत में हम न्याय पाने में सफल रहे हैं। टेलीकॉम कंपनी ने 20 हजार करोड़ रुपए में कैपिटल गेन, टैक्स, पेनाल्टी और ब्याज को लेकर यह मामला दायर किया था।

क्या था मामला

वोडाफोन ने हचिसन में साल 2007 में 11 अरब डॉलर में 67 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी थी। यूके की वोडाफोन ने भारत को 2012 में कोर्ट में चुनौती दी थी। हेग स्थित कोर्ट में 2016 में यह मामला वोडाफोन ने दायर किया था। दरअसल 2012 में भारत सरकार ने संसद से एक कानून को मंजूरी दी थी। जिसके तहत वह 2007 की डील पर टैक्स वसूल सकती थी। यह टैक्स इसलिए लगाया जा रहा था क्योंकि हचिसन उस समय एस्सार के साथ में थी। एस्सार भारतीय कंपनी है।

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