क्या बेटी की समझ पर सवाल उठा अपनी राजनीति बचा रहे सौरव गांगुली?

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन हो रहा है. इस कानून का विरोध हर तबके के लोग कर रहे हैं. भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और बीसीसीआई के अध्यक्ष सौरव गांगुली की बेटी सना गांगुली ने भी इसके विरोध में एक पोस्ट लिखी, जिसपर विवाद हो गया. गांगुली ने अपनी बेटी का बचाव किया और राजनीति के लिए उसे अभी छोटा बताया, लेकिन गांगुली के इस तरह बेटी का बचाव करने को भविष्य की उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा से जोड़ा जा रहा है.

क्या कहता है सना गांगुली का पोस्ट?

सौरव गांगुली की बेटी सना ने अपने इंस्टाग्राम में एक स्टोरी पोस्ट की, जिसमें खुशवंत सिंह की किताब The End Of India का एक किस्सा साझा किया गया है, जो कि सत्ता, नस्लीय भेदभाव पर सवाल खड़ा करता है. इसी को नागरिकता संशोधन कानून से जोड़ा गया और सोशल मीडिया पर बवाल हो गया. सौरव गांगुली ने इसको लेकर ट्वीट किया और बेटी का बचाव करते हुए कहा कि वह राजनीतिक समझ को लेकर अभी काफी छोटी हैं.

वयस्क बेटी की समझ पर गांगुली के सवाल?

सौरव गांगुली की बेटी सना गांगुली की उम्र 18 साल है, उनका जन्म 3 नवंबर 2001 को हुआ. कानूनी हिसाब से देखें तो सना गांगुली वयस्क हैं और खुद अपने फैसले ले सकती हैं. लेकिन जिस तरह सौरव गांगुली ने उनके पोस्ट को राजनीति के हिसाब से नासमझी बताया है, उसपर भी सवाल खड़े होते हैं. गौर करने वाली बात ये भी है कि 18 साल की उम्र में ही भारत में वोट देने का अधिकार मिल सकता है, यानी संविधान भी मानता है कि इस उम्र में राजनीतिक समक्ष परिपक्व हो जाती है और युवा अपने जनप्रतिनिधि और सरकार चुन सकता है. लेकिन गांगुली का तर्क इससे मेल नहीं खाता.

गांगुली का बचाव, भविष्य की सोच?

बीते लंबे समय से ऐसे कयास लगते आए हैं कि सौरव गांगुली बंगाल के मुख्यमंत्री पद के लिए भारतीय जनता पार्टी का चेहरा हो सकते हैं. हालांकि, दोनों पक्षों की ओर से इसको नकारा जाता रहा है, लेकिन कयास जारी हैं. बीते दिनों जब सौरव गांगुली, बीसीसीआई के अध्यक्ष बने तो गृह मंत्री और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय शाह बीसीसीआई में सचिव बने. इसी के बाद बीजेपी और सौरव गांगुली के बीच बढ़ते रिश्तों पर चर्चा हुई.

अब जब देश में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध जोरों पर है और हर विपक्षी नेता मोदी सरकार को संविधान विरोधी करार देने पर लगा है. ऐसे में सौरव गांगुली की बेटी की तरफ से पोस्ट आना उनके भविष्य के राजनीतिक डेब्यू पर पानी फेर सकता है.

बंगाल में 2021 में ही विधानसभा चुनाव होने हैं और अभी शुरुआती समय में बतौर बीसीसीआई अध्यक्ष गांगुली का कार्यकाल 9 महीने का ही है. हाल ही में भाजपा और केंद्र सरकार के साथ अच्छे होते रिश्तों को सौरव गांगुली इस तरह एक इंस्टाग्राम पोस्ट से बिगाड़ना नहीं चाहेंगे. यही कारण है कि पुरजोर तरीके से वह बेटी के इंस्टाग्राम पोस्ट को CAA से अलग बता रहे हैं.

बंगाल में दादा बन सकते हैं किंग?

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी अभी मुख्यमंत्री हैं. भारतीय जनता पार्टी उनके खिलाफ चुनाव की तैयारी तो कर रही है लेकिन राज्य में अभी भी उसे एक बड़े चेहरे की जरूरत है. सियासी जानकारों की नज़र में सौरव गांगुली वो जगह ले सकते हैं.

प्रिंस ऑफ कोलकाता, बंगाल टाइगर के नाम से मशहूर सौरव गांगुली आज भी बंगाल में एक बड़ा ब्रांड हैं, जिसका फायदा बीजेपी उठाना चाहेगी. हालांकि, हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि अभी ऐसे किसी प्लान के लिए सौरव गांगुली से उनकी पार्टी ने बात नहीं की है और ना ही गांगुली की ओर से ऐसी कोई इच्छा प्रकट की गई है.





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