संसद में शिवसेना के विपक्षी तेवर, किसानों के मुद्दे पर प्रदर्शन, दिया स्थगन प्रस्ताव

महाराष्ट्र में शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी के बीच चल रही जंग का असर अब दिल्ली में भी दिखने लगा है. जो शिवसेना पहले एनडीए का हिस्सा होकर मोदी सरकार का विरोध करती थी, अब वह औपचारिक रूप से विपक्ष का हिस्सा बन गई है. जिसका असर सोमवार को दिखा, शिवसेना ने लोकसभा में किसानों के मसले पर स्थगन प्रस्ताव दिया और संसद भवन के बाहर प्रदर्शन भी किया.

स्थगन प्रस्ताव से पहले सोमवार को ही शिवसेना ने सामना के जरिए किसानों का मुद्दा उठाया. शिवसेना की मांग है कि जिन किसानों का नुकसान हुआ है, उन्हें 25 हजार प्रति हेक्टेयर रुपये का मुआवजा दिया जाए, जबकि अभी ये राशि मात्र 8 हजार रुपये तक है.

महाराष्ट्र में 24 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के नतीजे आए, लेकिन अभी तक सरकार नहीं बन पाई. शिवसेना और भाजपा में मुख्यमंत्री पद को लेकर रार चलती रही, जिसके बाद शिवसेना ने एनडीए से अलग होने का फैसला लिया.

संसद सत्र से पहले एनडीए की जो बैठक हुई, उसमें पार्टी ने जाने से मना कर दिया. जिसके बाद केंद्र सरकार ने संसद में भी शिवसेना के सांसदों के बैठने की सीट में बदलाव कर दिया. शिवसेना शीतकालीन सत्र में सत्ता पक्ष नहीं बल्कि विपक्ष वाली सीटों में नज़र आएगी. लोकसभा में शिवसेना के 18 और राज्यसभा में कुल 3 सांसद हैं.

महाराष्ट्र सरकार पर जारी है मंथन

बता दें कि शिवसेना ने इस बार बीजेपी का साथ ना जाकर कांग्रेस और एनसीपी के साथ जाने का फैसला किया है. तीनों पार्टियों के बीच कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर मंथन चल रहा है, जिसके बाद ही सरकार गठन पर किसी तरह का फैसला हो सकता है.

सोमवार को एनसीपी प्रमुख शरद पवार राजधानी दिल्ली में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे. इस मुलाकात में महाराष्ट्र में सरकार गठन पर चर्चा हो सकती है. बीते दिनों ये बात सामने आई थी कि तीनों पार्टियों में अभी भी कुछ मुद्दों पर सहमति होनी बाकी है.






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