Jharkhand Assembly Election 2019 रह-रहकर भाजपा और जदयू में तकरार की बातें तो बिहार में होते रहती हैं, लेकिन झारखंड विधानसभा चुनाव से जुड़े ताजा घटनाक्रमों और जदयू नेताओं की आक्रामक बयानबाजी से ऐसा लग रहा है कि कहीं यह चुनाव भाजपा और जदयू की दोस्ती के ताबूत की आखिरी कील न साबित हो जाए। बिहार में कभी नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री पद की दावेदारी, कभी राजद से नजदीकी और हाल के दिनों में भाजपा-जदयू नेताओं में तेज हुई बयानबाजी से माहौल पहले ही गरम है।
इधर झारखंड में विधानसभा चुनाव लड़ने पर आमदा जदयू पार्टी आक्रामक तरीके से आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति पर उतर आई है। कभी भाजपा की रघुवर सरकार को भ्रष्ट कहा जा रहा है, तो कभी शराबबंदी और बिहार में इंजन-डिब्बा के नाम पर भी भाजपा को घेरा जा रहा है। माना जा रहा है कि भाजपा-जदयू की दोस्ती का झारखंड चुनाव कड़ा इम्तिहान लेगा। जिस तरह का सियासी माहौल बन रहा है उसमें यह देखना खासा दिलचस्प होगा कि भाजपा ऐसे भड़काऊ बयानों पर कब तक खैर मनाती है।
नीतीश के लिए अहम है झारखंड चुनाव, प्रशांत किशोर की रणनीति पर भरोसा
बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार पहले ही बता चुके हैं कि झारखंड चुनाव उनके लिए कितना अहम है। ऐसे में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और मंजे हुए चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को पार्टी ने झारखंड चुनाव की जिम्मेवारी दी है। बताया जा रहा है कि पीके की रणनीति के हिसाब से ही भाजपा से अलग जदयू की साख स्थापित करने के लिए पार्टी बीजेपी पर इतनी हमलावर है। ताकि भाजपा के आधार वोटरों ओबीसी में अपनी पैठ का फायदा उठाया जा सके।
आरसीपी बोले, डबल इंजन की सरकार ने झारखंड को लूटा
झारखंड में अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने के इरादे से जगह-जगह कार्यकर्ता सम्मेलन कर खुद को स्थापित करने में जुटी जदयू पार्टी भाजपा से अलग दिखने की बेताबी में है। बीते दिन कोडरमा में जदयू के राज्यसभा सदस्य और राष्ट्रीय महासचिव आरसीपी सिंह ने भाजपा सरकार को लुटेरा तक कह दिया। कहा कि भाजपा की डबल इंजन की सरकार ने झारखंड में लूटने का काम किया है। यहां बिजली, पानी, सड़क, रोजगार जैसी मूलभूत सुविधाएं चौपट हैं। यहां की जनता विकल्प की तलाश में है और हम उनके लिए विकल्प के रूप में यहां आए हैं। जदयू यहां सीएनटी-एसपीटी एक्ट को भी हवा दे रहा है।
जदयू, आप और झाविमो बना सकता है अलग मोर्चा
चुनावी जानकारों की मानें तो विपक्षी महागठबंधन से इतर झारखंड विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी जदयू, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की पार्टी झाविमो और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी साथ मिलकर अलग मोर्चा बना सकती है। अंदरखाने यह भी कहा जा रहा है कि नीतीश और बाबूलाल की नजदीकी का फायदा उठाने की ताक में जुटी आम आदमी पार्टी की ओर से ऐसी पेशकश की गई है। ताकि भाजपा विरोधी वोटों का बंटवारा रोका जा सके। बहरहाल झारखंड में अब तक विपक्ष के किसी गठबंधन का एलान नहीं हुआ है। भाजपा के विरोधी झामुमो, झाविमो, कांग्रेस, राजद, जदयू, आप और वामदल के अलावा छोटी पार्टियों का समूह पीपुल एलांयस अपने-अपने तरीके से दबाव बनाने और वोटरों के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में जुटे हैं।