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रेलवे बोर्ड में बड़ा बदलाव, IRMS को केंद्रीय कैबिनेट ने दी मंजूरी

केंद्रीय कैबिनेट ने आज मंगलवार को रेलवे बोर्ड के फंक्शनल लेवल पर पुनर्गठन को मंजूरी दे दी है. रेलवे बोर्ड में अब तक चेयरमैन के अलावा 8 सदस्य होते थे जो अलग-अलग सर्विसेज से आते थे. अब सभी का विलय करके इंडियन रेलवे मैनेजमेंट सर्विस (IRMS) बनाने की मंजूरी दी गई है.

केंद्रीय कैबिनेट ने रेलवे बोर्ड के फंक्शनल लेवल पर पुनर्गठन को मंजूरी दे दी है. रेलवे बोर्ड में अब तक चेयरमैन के अलावा 8 सदस्य रखे जाते थे जो अलग-अलग सर्विसेज से आते हैं. अब सभी का विलय करके इंडियन रेलवे मैनेजमेंट सर्विस (IRMS) बनाने की मंजूरी दी गई है.

अब नए अब रेलवे बोर्ड में एक चेयरमैन और 4 सदस्य होंगे. भारतीय रेलवे की मौजूदा आठ समूह ए सेवाओं को अब इंडियन रेलवे मैनेजमेंट सर्विस (IRMS) नाम से एक केंद्रीय सेवा में पुनर्गठित किया जाएगा.

क्या है सरकार का दावा

इस फैसले पर सरकार का दावा है कि इस परिवर्तन से रेलवे में नौकरशाही खत्म होगी और सेवाओं का एकीकरण हो सकेगा. साथ ही रेलवे में सुचारु तरीके से कामकाज को बढ़ावा देने का मौका मिलेगा, निर्णय लेने में तेजी आएगी.

सरकार ने मंत्रिमंडल में फैसला किया है कि अब रेलवे बोर्ड का गठन विभागीय तर्ज पर नहीं होगा इसकी जगह छोटे आकार का बोर्ड होगा. चेयरमैन रेलवे बोर्ड (CRB) रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष होंगे जो 4 सदस्यों और कुछ स्वतंत्र सदस्यों के साथ मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) भी होंगे.

रेलवे में सुधार के लिए विभिन्न समितियों द्वारा सेवाओं के एकीकरण की सिफारिश की गई थी. 7 और 8 दिसंबर, 2019 को आयोजित 2 दिवसीय सम्मेलन “परिवर्तन संगोष्ठी” में रेलवे अधिकारियों के भारी समर्थन और आम सहमति पर ही यह सुधार किया गया है.

सेवाओं के तौर-तरीका और एकीकरण पर DoPT के साथ विचार-विमर्श किया जाएगा और निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कैबिनेट द्वारा नियुक्त ‘वैकल्पिक तंत्र’ की मंजूरी लेनी होगी.

यानी सारा होमवर्क करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में कैबिनेट ने भारतीय रेलवे के कायाकल्प वाले संगठनात्मक पुनर्गठन को मंजूरी दी. यह ऐतिहासिक सुधार भारतीय रेलवे को भारत की ‘विकास यात्रा’ का विकास इंजन बनाने संबंधी सरकार के विजन को साकार करने में काफी मददगार साबित होगा.

बोर्ड में ये भी होंगे सुधार

-‘भारतीय रेलवे चिकित्‍सा सेवा (आईआरएमएस)’ का नाम बदलकर भारतीय रेलवे स्‍वास्‍थ्‍य सेवा (आईआरएचएस) रखा जाएगा.

-अगले 12 वर्षों के दौरान 50 लाख करोड़ रुपये के प्रस्‍तावित निवेश से आधुनिकीकरण के साथ-साथ यात्रियों को उच्‍च मानकों वाली सुखद, सुरक्षित, तेज रफ्तार वाली यात्रा कराने के लिए एक महत्‍वाकांक्षी कार्यक्रम भी तैयार है.

चुस्‍त-दुरुस्‍त संगठन की आवश्‍यकता

इन लक्ष्यों को पाने के लिए तेज गति एवं व्‍यापक स्‍तर से युक्‍त एकीकृत एवं चुस्‍त-दुरुस्‍त संगठन की आवश्‍यकता है. आज के ये सुधार दरअसल वर्तमान सरकार पहले लागू कर चुकी है, लेकिन अब वो विभिन्‍न सुधार उस श्रृंखला के अंतर्गत आते हैं जिसमें रेल बजट का विलय केंद्रीय बजट में करना, महाप्रबंधकों (जीएम) एवं क्षेत्रीय अधिकारियों (फील्‍ड ऑफिसर) को सशक्‍त बनाने के लिए उन्‍हें अधिकार सौंपना, प्रतिस्‍पर्धी ऑपरेटरों को रेलगाडि़यां चलाने की अनुमति देना इत्‍यादि शामिल हैं.

अगले स्‍तर की चुनौतियों से निपटने और विभिन्‍न मौजूदा कठिनाइयों को दूर करने के लिए यह कदम उठाने की आवश्‍यकता महसूस की जा रही थी. विश्‍वभर की रेल प्रणालियों, जिनका निगमीकरण हो चुका है, के विपरीत भारतीय रेलवे का प्रबंधन सीधे तौर पर सरकार द्वारा किया जाता है. इसे विभिन्‍न विभागों जैसे कि यातायात, सिविल, यांत्रिक, विद्युतीय, सिग्‍नल एवं दूरसंचार, स्‍टोर, कार्मिक, लेखा इत्‍यादि में संगठित किया जाता है.

एकीकरण से नौकरशाही खत्‍म होगी

इन वि‍भागों को ऊपर से लेकर नीचे की ओर पृथक किया जाता है और इनकी अध्‍यक्षता रेलवे बोर्ड में सचिव स्‍तर के अधिकारी (सदस्‍य) द्वारा की जाती है. विभाग का यह गठन ऊपर से लेकर नीचे की ओर जाते हुए रेलवे के जमीनी स्‍तर तक सुनिश्चित किया जाता है.

सेवाओं के एकीकरण से यह ‘नौकरशाही’ खत्‍म हो जाएगी. रेलवे के सुव्यवस्थित कामकाज को बढ़ावा मिलेगा, निर्णय लेने में तेजी आएगी, संगठन के लिए एक सुसंगत विजन सृजित होगा और तर्कसंगत निर्णय लेने को प्रोत्साहन मिलेगा.

रेलवे में सुधार के लिए गठित विभिन्‍न समितियों ने सेवाओं के एकीकरण की सिफारिश की है जिनमें प्रकाश टंडन समिति (1994), राकेश मोहन समिति (2001), सैम पित्रोदा समिति (2012) और बिबेक देबरॉय समिति (2015) शामिल हैं.

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