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बिल के विरोध में पटना की सड़क पर उतरे राजद कार्यकर्ता, तेजस्वी चला रहे ट्रैक्टर

केंद्र सरकार द्वारा पिछले दिनों संसद से पास कराए गए कृषि बिल के खिलाफ शुक्रवार को देशभर में किसान संगठन और विपक्षी दल विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। बिहार में राजद ने किसानों के विरोध प्रदर्शन को समर्थन दिया है। इसके बहाने राजद को विधानसभा चुनाव से पहले शक्ति प्रदर्शन का भी मौका मिला है। पार्टी यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि बिहार के लोगों का कितना अधिक समर्थन उसे प्राप्त है। राजद नेता तेजस्वी यादव खुद ट्रैक्टर चला रहे हैं और उनके पीछे समर्थक नारे लगाते हुए चल रहे हैं। तेजस्वी के पीछे 50 से अधिक ट्रैक्टर का काफिला चल रहा है।

नए कृषि बिल से किसान और गरीब होंगे


तेजस्वी ने कहा कि केंद्र की सरकार ने अन्नदाताओं को अपने फंड दाता की कठपुतली बना दी है। यह बिल किसान विरोधी है। इससे किसान लाचार, हताश, निराश और टूट चुका है। यह सरकार तो कहती थी कि 2022 तक किसानों की आय दोगुना करेंगे। इससे किसानों का आय बढ़ना तो दूर वे और गरीब हो जाएंगे। डबल इंजन की इस सरकार ने कोई ऐसा सेक्टर नहीं छोड़ा है जिसका निजीकरण न किया हो। एक कृषि क्षेत्र बचा था उसका भी निजीकरण कर दिया गया।

इस विधेयक में एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) का कहीं कोई जिक्र नहीं है। बिहार ऐसा पहला राज्य है जहां 2006 में नीतीश कुमार ने एपीएमसी को रद्द कर दिया था। बाजार समितियों को खत्म कर दिया, जिससे बिहार का किसान गरीब से गरीब होता गया और पलायन करने की स्थिति आई। नीतीश कुमार ने हर बार की तरह इस बार भी यू-टर्न मारा है। चाहे नोटबंदी हो, सीएए व एनआरसी हो या किसान बिल हो। जदयू ने पहले कहा था कि इस विधेयक में एमएसपी का जिक्र होना चाहिए। मैं नीतीश कुमार से पूछना चाहता हूं कि बिहार में एमएसपी क्यों नहीं है? नीतीश दूसरों के बारे में कहते हैं कि उसे ज्ञान नहीं है। ऐसा लगता है कि उन्हें ही ज्ञान नहीं है। अपने आप को वह सर्व ज्ञानी मानते हैं। बताएं कि नीतीश कुमार कृषि बिल के विधेयक तीन को पढ़े हैं या नहीं पढ़े हैं?

कुशवाहा के सवाल पर नहीं दिया साफ जवाब


रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के मामले में तेजस्वी यादव ने साफ जवाब नहीं दिया। वह कटाक्ष करते हुए बोले कि सम्मान सबको चाहिए, सम्मान देना भी होगा। जो सम्मान देगा उसे सम्मान भी देना होगा। हालांकि हमारा कोई अपमान भी करे तो हम उसका सम्मान करते हैं। उपेंद्र कुशवाहा जी हमसे उम्र में काफी बड़े हैं, अनुभवी हैं। लेकिन क्या यह समय किसानों के साथ खड़े होने का नहीं है? कोई भी मुझे कितना भी अपमानित करेगा हम उसे सम्मान ही देंगे। हम अपनी विचारधारा के साथ खड़े हैं। कौन कहां जाएगा? कौन टूटेगा? इसपर टीका टिप्पणी करना कठिन है।

गठबंधन के सवाल पर असहज दिखे तेजस्वी


गठबंधन के सवाल को पर तेजस्वी असहज दिखे। एक सवाल पर वह भड़क गए और बोलने लगे कि यह किसानों के लिए संघर्ष का समय है और सवाल रिया चक्रवर्ती और दीपिका पादुकोण के बारे में पूछे जा रहे हैं। बेरोजगारी और किसानों के अलावा उन्होंने किसी मुद्दे पर बात नहीं की। तेजस्वी ने कहा कि हर पार्टी स्वतंत्र है और वह अपने हिसाब से रणनीति बनाती है। जब अन्य कई मुद्दों को लेकर तेजस्वी से सवाल पूछे गए तो वह उठे और चल दिए।

डॉक्टरों ने पीपीई किट पहनकर किया विरोध प्रदर्शन

राबड़ी आवास के बाहर राजद से जुड़े पांच डॉक्टर भी पीपीई किट पहनकर किसानों के समर्थन में विरोध प्रदर्शन करते दिखे। डॉक्टरों ने हाथ में आलू और प्याज लिया हुआ था। विरोध प्रदर्शन कर रहे डॉक्टर सुधीर कुमार ने कहा कि हमलोग भले ही चिकित्सा के पेशे से हैं, लेकिन किसानों की चिंता हमें भी है। किसान अन्न और सब्जी उगाते हैं तभी हमें खाना मिलता है। सरकार ने जैसा काला कानून लिया है उससे किसानों को बहुत नुकसान होगा। कॉर्पोरेट इतने ताकतवर हैं कि किसान उनके चंगुल में पड़कर पिस जाएंगे।

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