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बालाघाट मैं सड़क बनाने 700 पेड़ काटने की तैयारी !

बालाघाट:सड़क बनाने 700 पेड़ काटने की तैयारी; विरोध का अनूठा तरीका- 60 किमी से ज्यादा मैराथन में दौड़े युवा, बांसुरी की धुन से पेड़ बचाने की अपील भी की जा रही

बालाघाट के जंगल में घनेंद्र कावड़े लोगों को जागरूक करने के लिए रोज बांसुरी बजा रहे हैं। घनेंद्र मुंबई में रहते हैं।

शहर के एक हिस्से से दूसरे हिस्से के बीच एक घना जंगल है- जो शायद देश के किसी दूसरे शहर में देखने को मिले। इसे जिले के लोग डेंजर रोड के नाम से जानते हैं और जानकार इसे शहर का ऑक्सीजोन कहते हैं- अब इसका अस्तित्व यहां प्रस्तावित एक रोड के चलते संकट में है। वन विभाग ने इस मार्ग पर लोक निर्माण विभाग की मांग पर 700 पेड़ों को काटने की अनुमति दे दी है, जबकि यह मार्ग प्राकृतिक रूप से वैनगंगा नदी के बैक पर प्राकृतिक रूप से बने सघन वनों से घिरा है। प्राकृतिक रूप से वनों के कारण हिरण, कोटरी जैसे वाइल्ड लाइफ का विचरण भी होता है। साथ ही नगर के लोग भी इस सुरक्षित मार्ग पर नियमित मार्निंग और इवनिंग वॉक के लिए भी जाते हैं, लेकिन वन विभाग ने यहां के लगभग 3 हेक्टेयर वन्य क्षेत्र के रूप में 700 पेड़ों को काटने की अनुमति दे दी है, जिसको लेकर नगर में विरोध के स्वर उठने लगे हैं।

जंगल बचाने के लिए ये युवा मैराथन में दौड़े।

नगर के बीच से गुजरने वाले रास्ते को आउटर रिंग रोड के रूप में परिवर्तित कर बाइपास बनाए जाने के लिए पेड़ काटे जाने का विरोध किया जा रहा है। इसमें शहर के 7 युवाओं ने मिलकर आज डेंजर रोड पर 60 किमी से अधिक मैराथन दौड़ कर लोगों को पेड़ों को बचाने का संदेश दिया। इसमें सबसे ज्यादा दूरी तक चेतन लुथरा लगभग 21 किमी इस मार्ग पर कई राउंड में दौड़े। उनके साथ मैराथन में आदेश प्रताप सिंह, हर्षित फुंड़े, ज्ञान गौतम, शिवांश मेश्राम, एश्वर्य राज सोनवाने, और संकेत उईके ने भी सहभागिता की। इस दौड़ का उद्देश्य नगर के लोगों को शहर के भीतर इस खूबसूरत वन से सैकड़ों पेड़ काटे जाने के विरोध का संदेश देना था।

बांसुरी बजाकर जंगल बचाने की अलख जगा रहा कलाकार
नगर का एक युवा कलाकार घनेंद्र कावड़े पिछले एक सप्ताह से लगातार जंगल बचाओ के संदेश के साथ इस मार्ग पर घूम-घूम कर बांसुरी की मोहक धुन पर लोगों को इन पेड़ों को बचाने के लिए जागरूक कर रहा है। युवा का यह अनूठा तरीका चर्चा में है, वहीं लोगों को भी जोड़ने में यह ढंग काफी कारगर हो रहा है। घनेंद्र का कहना है कि मैं एक कलाकार हूं और बालाघाट की मिट्टी से जुड़ा हूं। मैं विरोध करने सड़क पर नहीं आ सकता, इसलिए अपनी कला के माध्यम से पेड़ों को काटने की तैयारी करने वालों का जगाने की कोशिश कर रहा हूं। घनेंद्र मुंबई में असिस्टेंड डायरेक्टर समेत नाट्य मंच का बड़ा नाम भी हैं। 

जिन पेड़ों को काटा जाना है, उन पर लाल मार्किंग कर दी गई है।

इनका कहना है

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