
एयरसेल मैक्सिस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की है. सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी गई है. इसके साथ ही सीबीआई और ईडी ने कोर्ट से समय भी मांगा है.
एएसजी संजय जैन ने कोर्ट को बताया कि 5 देशों में इस मामले से जुड़ी पत्रावलियां (लेटर्स रोगेटरी) लंबित है. जिसके चलते जांच पूरी नहीं हो सकी है. फिलहाल कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के लिए अगली तारीख 4 मई दे दी है.
दरअसल, कोर्ट की ओर से कुछ न्यायिक सहायता के लिए विदेशी अदालत में औपचारिक अनुरोध करने की प्रक्रिया लेटर्स रोगेटरी कही जाती है. एएसजी संजय जैन ने अदालत को बताया कि अभी इस केस में जांच पूरी होना बाकी है.
Aircel Maxis case: Central Bureau of Investigation (CBI) & Enforcement Directorate (ED) have sought time due to the pendency of Letters rogatory (formal request from a court to a foreign court for some judicial assistance) in several countries. Court adjourns matter for 4th May.
— ANI (@ANI) February 20, 2020
एयरसेल मैक्सिस मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम, बेटे कार्ति चिदंबरम और अन्य के खिलाफ सीबीआई और ईडी ने मुकदमा दर्ज किया हुआ है. दोनों फिलहाल जमानत पर हैं. फिलहाल इस मामले की सुनवाई सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एके कुहार कर रहे हैं. इससे पहले यह मामला जज ओपी सैनी सुन रहे थे. हालांकि उनके रिटायर होने के बाद यह मामला ट्रांसफर होकर जज एके कुहार के पास आ गया है.
क्या है मामला?
यह मामला 2006 में एयरसेल-मैक्सिस सौदे में विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी दिए जाने में कथित अनियमितता से जुड़ा है. यह मंजूरी कथित तौर पर 2006 में दी गई, जब पी चिदंबरम केंद्रीय वित्त मंत्री थे. विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) नीति व नियम के अनुसार, चिदंबरम को ही प्रस्तावों को मंजूरी देने का अधिकार था. इन प्रस्तावों में 600 करोड़ रुपये से ज्यादा विदेशी निवेश शामिल था.