मुंबई हमले के वीर शहीद हेमंत करकरे को अपने श्राप से मृत्यु तक पहुँचाने, खुद बाबरी मस्जिद को गिराने जैसे दोनों बयान देने के बाद उन पर कोई अफसोस भी व्यक्त न करने वाली साथ ही साथ गौमूत्र से कैंसर के इलाज का दावा करने वाली, खुद की इस दुर्दशा का और सनातन हिन्दू धर्म को हिन्दू आतंकवाद से जोड़ने का आरोप मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर लगाने वाली मालेगांव बम धमाके की मुख्य आरोपी भोपाल से भाजपा की लोकसभा प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा जिन्होंने अपना नामांकन साधुओं और संत समाज के साथ एक बड़ी भगवा शक्ति के प्रदर्शन के तौर पर दाख़िल किया है खबर मिली कि उसी सीट पर डमी प्रत्याशी के रूप में आलोक संजर का भी पर्चा दाखिल कराया गया है। भाजपा का ऐसा निर्णय इसलिए है कि चुनाव आयोग अपने नोटिस के संबंध में साध्वी प्रज्ञा द्वारा दिये गए जवाब से संतुष्ट नही है और भाजपा इस समय किसी प्रकार का जोख़िम नही लेना चाहती है। सोच यह है कि यदि फॉर्म निरस्त कर दिया जाता है तब पार्टी के पास उसका अपना एक उम्मीदवार शेष होगा।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार शहीद हेमंत करकरे पर साध्वी के बयान से आठ पूर्व डीजीपी बेहद नाराज हुए हैं जिन्होंने इसकी निंदा की है इसके अलावा भी देशभर में इस तरह की मानसिकता की निंदा हुई। भाजपा नेताओं की इस पर टिप्पणियों से भी लोग हैरान हो गए, देश मे बहुत से लोगों ने पूछा कि जब हेमंत करकरे देश के लिए शहीद हुए तब मोदी से लेकर शिवराज की इस पर आखिर क्या प्रतिक्रिया है और किसी ऐसे चेहरे को भाजपा टिकट कैसे दे सकती है। मप्र के ही एक पूर्व भाजपा विधायक ने भी फेसबुक पर इस बयान का कड़ा विरोध किया। सवाल यह उठ खड़ा हुआ कि मोदी सरकार कब और कैसे आचनक विकास के मुद्दे से राष्ट्रवाद का नाम लेते हुए हिंदुत्व पर पहुँच गई।
आजतक को दिए अपने एक इंटरव्यू में साध्वी प्रज्ञा के सामने भोपाल से चुनाव लड़ रहे कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह ने एक सवाल के जवाब में कहा कि जिस हिन्दू आतंकवाद के शब्द को गढ़ने का आरोप मुझ पर लगाया जा रहा है दरअसल वह पहली बार तत्कालीन गृह सचिव रहे आर के सिंह ने कहे थे जिसे भाजपा ने अपना सांसद और मोदी जी ने मंत्री बनाया और तो और इस बार भी वो भाजपा से उम्मीदवार हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गिरफ्तार करवाया था मैंने नही।
अब देखने वाली बात यह है कि यह चुनाव परिणाम आने के बाद उनका विश्लेषण ही बता पायेगा कि भाजपा को इस हिंदुत्व कार्ड का मध्यप्रदेश और पूरे देश मे फायदा मिलता है या नुकसान उठाना पड़ता है।