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ओशो आश्रम की तीसरी मंजिल से कूद युवती ने की आत्महत्या, सुसाइड नोट में लिखा-बाप जिम्मेदार

सोनीपत (राई)। मुरथल स्थित ओशोधारा आश्रम की तीसरी मंजिल से कूदकर एक युवती ने सोमवार को आत्महत्या कर ली। युवती के पास से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ है। जिसमें उसने अपनी मौत का जिम्मेदार अपने पिता को बताया है। सुसाइड नोट में लिखा है कि मेरा बाप, पाप से भी बुरा है। वही मेरी मौत का जिम्मेदार है। इसमें और किसी की गलती नहीं है। मुझे माफ करना, सॉरी। पुलिस ने सुसाइड नोट के आधार पर मृतका के पिता बिहार के चंपारन निवासी सितेंद्र कुमार के खिलाफ आत्महत्या के लिए मजबूर करने का मामला दर्ज कर लिया है।

मृतक संजू कुमारी। (फाइल)

मुरथल स्थित ओशो धारा नानक धाम में 7 जुलाई 2019 को बिहार के पूर्वी चंपारन जिले के रामगढ़वा निवासी सितेंद्र कुमार ने अपनी 30 वर्षीय बेटी संजू कुमारी को मेडिटेशन के लिए भेजा था। सितेंद्र कुमार ने बताया था कि उसकी बेटी मानसिक रूप से परेशान रहती है। उसे शांति व ध्यान-योग की जरूरत है। सोमवार को आश्रम के तीसरी मंजिल से नीचे कूदकर

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आत्महत्या करने के मामले की 
सूचना के बाद मुरथल थाना पुलिस मौके पर पहुंची। एएसएआई बिजेंद्र सिंह ने बताया कि जांच के दौरान एक सुसाइड नोट मिला है। जिसमें संजू ने अपनी मौत के लिए अपने पिता सितेंद्र को ही जिम्मेदार बताया। पुलिस ने आश्रम के कमरे से दवाइयां भी बरामद की हैं। बताया जा रहा है कि मानसिक रूप से परेशान रहने की वजह से संजू दवाइयों का सेवन करती थी। पुलिस ने सोनीपत के नागरिक अस्पताल में पोस्टमार्टम कराया।

पिता बोला-अब किसके सहारे रहूंगा
बेटी की मौत की सूचना पर पिता सितेंद्र अस्पताल में पहुंचे। सितेंद्र ने बताया कि करीब एक साल पहले पत्नी की मौत हो गई थी। उसके पास केवल एक ही बेटी थी। पत्नी की मौत के बाद स्कूल भी बंद करना पड़ा। मां की मौत के बाद बेटी मानसिक रूप से परेशान रहने लगी। कई जगह इलाज कराया, लेकिन कोई फायदा नहीं मिला। मेडिटेशन से स्वास्थ्य में कुछ सुधार हो जाएगा। दोस्तों से पैसे उधार लिए और बेटी को ओशोधारा नानक धाम में छोड़ गया। बेटी की मौत के बाद अब वह बिलकुल अकेला हो गया है। परिवार में भी कोई सहारा देने वाला नहीं है।

1 दिन पहले ही बेटी से हुई थी बात, पैसे भी भेजे
सितेंद्र ने बताया कि उसकी बेटी से लगातार फोन पर बात होती रहती थी। घटना से एक दिन पहले भी उससे फोन पर बात हुई थी। बेटी ने कुछ पैसे मंगवाए थे। उसने बैंक जाकर बेटी को पैसे भी भेजे। जब बेटी से बात हुई तो उसने ऐसी कोई बात नहीं बताई, जिससे वह आत्महत्या जैसा कोई कदम उठाएगी।

कभी खुश तो कभी गम में डूबी रहती थी संजू
ओशोधारा नानक धाम आश्रम के सन्नी व बलवान ने बताया कि संजू का व्यवहार काफी अच्छा था। वह ध्यान अच्छी तरह से लगाती थी। वह कभी खुशी में तो कभी गम में डूबी रहती थी। वह ज्यादातर एकांत में ही रहती थी और कुछ न कुछ सोचती रहती थी। वह ऐसा कदम उठाएगी किसी को आभास भी नहीं था।

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