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Gujrat के दामाद Jyotiraditya Scindia होंगे Madhya Pradesh के अगले मुख्यमंत्री !

मुख्यमंत्री बनाए जाने के कयासों (Who Will Be Madhya pradesh Next CM) के बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया ने साफ कर दिया है कि वह सीएम पद की रेस में नहीं हैं. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि सीएम पद के लिए उनको चुने जाने का सवाल ही नहीं उठता.

230 विधानसभा सीटों वाले मध्य प्रदेश में बीजेपी ने शानदार जीत दर्ज की है. अब हर किसी की जुबां पर एक ही सवाल है कि मध्य प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री कौन (Who Will Be Next CM Of Madhya Pradesh) होगा. दरअसल बीजेपी ने मध्य प्रदेश में किसी भी चेहरे पर नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर चुनाव लड़ा था,  पार्टी की ये रणनीति सफल भी रही. बीजेपी ने राज्य में 23-0 विधानसभा सीटों में से 163 सीटों पर जीत हासिल की है. वहीं तमाम दावों और वादों के बावजूद कांग्रेस 66 सीटों पर सिमट गई. 

कौन बनेगा MP का मुख्यमंत्री?

पहले अटकलें लगाई जा रही थीं कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में तीन केंद्रीय मंत्रियों समेत सात सांसदों के चुनाव लड़ने से शिवराज सिंह चौहान को दरकिनार किया जा रहा है, लेकिन बीजेपी के इतिहास में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री पद पर रहने वाले मुख्यमंत्री का दावा बीजेपी के शानदार प्रदर्शन से मजबूत हो गया है. शिवराज के अलावा मुख्यमंत्री की रेस में केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल और ज्योतिरादित्य सिंधिया, बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के नाम भी शामिल हैं.

मुख्यमंत्री की रेस में ये नाम भी शामिल

मुख्यमंत्री की दौड़ में  दो ब्राह्मण नेता भी शामिल हैं, बीजेपी राज्य प्रमुख और पहली बार के सांसद वीडी शर्मा, और पांचवीं बार विधायक बने और राज्य कैबिनेट में मंत्री, राजेंद्र शुक्ला, ये दोनों ही विंध्य क्षेत्र से आते हैं. मध्य प्रदेश बीजेपी के एक बड़े वर्ग का मानना ​​है कि शिवराज सिंह चौहान कम से कम अगले लोकसभा चुनाव तक मुख्यमंत्री बने रह सकते हैं. दरअसल लोकसभा चुनाव में 6 महीने से भी कम का समय बचा है. वहीं दूसरों का मानना ​​है कि बीजेपी ने इस बार जो, 166 सीटें जीती हैं, उनमें बहुमत से 47 सीटें ज्यादा हैं. जिसकी वजह से पार्टी के पास विकल्प चुनने के लिए जरूरी मदद मिल सकती है.

शिवराज और इन नेताओं के बीच कड़ा मुकाबला

शिवराज सिंह चौहान ने एनडीटीवी से कहा, “हममें से कोई भी अपने बारे में कोई फैसला नहीं लेता है. हम एक बड़े मिशन का हिस्सा हैं, हम कार्यकर्ता हैं. हम वही करते हैं जो पार्टी तय करती है.” इस बीच कैलाश विजयवर्गीय के नाम की चर्चा भी तेज है. वह मालवा-निमाड़ क्षेत्र से आते हैं, जहां बीजेपी ने 66 में से 47 सीटें जीती हैं. कैलाश विजयवर्गीय को गृह मंत्री अमित शाह का करीबी माना जाता है, लेकिन पश्चिम बंगाल में रेस केस में नाम आने के बाद उनके मुख्यमंत्री पद की संभावनाओं पर असर पड़ सकता है.

कैलाश विजयवर्गीय से जब मध्य प्रदेश में बीजेपी की जीत में शिवराज सिंह चौहान की लाडली बहना योजना की भूमिका के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी की जीत के पीछे ‘मोदी मैजिक’ ही एकमात्र कारण था.

ये 2 OBC नेता भी सीएम की रेस में शामिल

वहीं दो ओबीसी नेताओं में शामिल प्रह्लाद सिंह पटेल ने बुंदेलखंड, महाकोशल, मध्य मध्य प्रदेश और ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में पार्टी की सफलता के लिए बड़े पैमाने पर काम किया. वह पार्टी के पुराने नेता हैं. लोधी जाति के नेता को सीएम के लिए चुनने से उत्तर प्रदेश के आसपास के बुंदेलखंड और रोहिलखंड क्षेत्रों में भी पार्टी की चुनावी संभावनाएं बढ़ सकती हैं. माना ये भी जा रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में पार्टी की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, यहां पर साल 2018 में 7 सीटों की तुलना में बीजेपी ने 18 सीटें जीती हैं. साथ ही मालवा और विंध्य क्षेत्र के कुछ हिस्सों में भी उनका असर है. इसी को देखते हुए ज्योतिरादित्य को भी सीएम पद के लिए मजबूत दावेदार के रूप में देखा जा रहा है, वहीं इसका एक कारण उनका प्रधानमंत्री मोदी से उनकी करीबी भी है.  

मुख्यमंत्री की दावेदारी पर क्या बोले ज्योतिरादित्य सिंधिया?

2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के विद्रोह की वजह से ही कांग्रेस सरकार गिर गई, जिससे राज्य में बीजेपी की वापसी का रास्ता खुल सका. लेकिन उनको बीजेपी में शामिल हुए अभी सिर्फ साढ़े तीन साल ही हुए हैं, ऐसे में उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने से पार्टी के पुराने नेताओं में खलबली मच सकती है. लोकसभा चुनाव से पहले नेतृत्व इससे बचना चाहेगा.

मुख्यमंत्री बनाए जाने के कयासों के बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा है कि वह सीएम पद की रेस में नहीं हैं. एनडीटीवी के साथ एक खास इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि सीएम पद के लिए उनको चुने जाने का सवाल ही नहीं उठता, क्यों कि वह हमेशा पार्टी के कार्यकर्ता रहे हैं और रहेंगे. 

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