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अयोध्या पर फैसले से खुश नहीं हैं स्वरूपानंद सरस्वती, बोले- अब तो झगड़े होंगे!

Ayodhya Ram Mandir-Babri Masjid Case Verdict: ओवैसी ने अपने बयान में कहा कि “देश के मुस्लिमों को 5 एकड़ जमीन के लिए खैरात की जरुरत नहीं। मेरी राय में पांच एकड़ जमीन नहीं लेनी चाहिए। मुस्लिम आवाम इतनी मजबूत है कि वह यूपी में कहीं भी जमीन के लिए पैसा इकट्ठा कर सकती है।

Ayodhya Ram Mandir-Babri Masjid Case Verdict: अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद द्वारिकापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती का बयान सामने आया है। स्वरुपानंद सरस्वती ने फैसले पर नाखुशी जाहिर की है और कहा कि हम इस फैसले से बिल्कुल खुश नहीं हैं। दरअसल शंकराचार्य ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले से असहमति जतायी जिसमें मस्जिद के लिए वैकल्पिक जगह पर 5 एकड़ जमीन देने के निर्देश दिए गए हैं। शंकराचार्य स्वरुपानंद सरस्वती ने कहा कि ‘इससे झगड़े होंगे।’ बता दें कि एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी भी अपने बयान में फैसले के तहत 5 एकड़ जमीन दिए जाने के फैसले से खुश नहीं हैं।

ओवैसी ने अपने बयान में कहा कि “देश के मुस्लिमों को 5 एकड़ जमीन के लिए खैरात की जरुरत नहीं। मेरी राय में पांच एकड़ जमीन नहीं लेनी चाहिए। मुस्लिम आवाम इतनी मजबूत है कि वह यूपी में कहीं भी जमीन के लिए पैसा इकट्ठा कर सकती है। ओवैसी ने कहा कि हिंदुस्तान का मुसलमान इतना गया गुजरा नहीं है कि वो 5 एकड़ जमीन नहीं खरीद सकता। हमें खैरात नहीं चाहिए। हम अपने लीगल राइट के लिए लड़ रहे थे। हमें किसी से भीख की जरुरत नहीं है।”

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले पर अपने फैसले में कहा है कि विवादित जमीन रामलला की है। कोर्ट ने इसके साथ ही विवादित जमीन पर राम मंदिर बनाने का रास्ता साफ कर दिया है। कोर्ट ने केन्द्र और राज्य सरकार को मस्जिद के लिए वैकल्पिक जगह पर 5 एकड़ जमीन देने के भी निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 1946 के फैजाबाद कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर की गई स्पेशल लीव पीटिशन को भी खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के साक्ष्यों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने फैसले को चुनौती देने की बात कही थी। हालांकि शाम होते होते सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अपना इरादा बदला दिया और बोर्ड के चेयरमैन जफर फारुकी ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार करते हैं और यह साफ करना चाहते हैं कि यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड इस मामले में कोई रिव्यू पिटीशन दाखिल नहीं करेगा।

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