मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच चार दिन पहले फोन पर बातचीत हुई थी. मनसे नेता और एकनाथ शिंदे समर्थकों ने राज ठाकरे और शिंदे के बीच बातचीत की पुष्टि की है. दोनों नेताओं के बीच 15 मिनट तक चर्चा हुई.
मनसे के एक नेता ने बीबीसी मराठी को बताया कि राज ठाकरे ने एकनाथ शिंदे की भूमिका के बारे में पूछा. उन्होंने शिंदे के विद्रोह का कारण जानने की कोशिश की.
बीबीसी मराठी से बात करते हुए मनसे नेता ने कहा, “राज ठाकरे और शिंदे के बीच चर्चा हुई है, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि दोनों नेताओं के बीच क्या हुआ.”
एकनाथ शिंदे और राज ठाकरे के बीच शुरू से ही अच्छे संबंध रहे हैं. राज ठाकरे के शिवसेना छोड़ने के बाद भी, एकनाथ शिंदे ने राज के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखा है. बीबीसी मराठी ने शिंदे समर्थक विधायकों से इस पर चर्चा की.
नाम न छापने की शर्त पर शिंदे के कुछ समर्थकों ने कहा है कि, “एकनाथ शिंदे ने कई लोगों से चर्चा की थी. उन्होंने राज ठाकरे से भी चर्चा की थी. लेकिन ये चर्चाएं राजनीतिक नहीं थीं.”
राज ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच बातचीत के बाद ये चर्चा शुरू हुई कि शिंदे समूह के पास मनसे में विलय का विकल्प है. इसका कारण यह है कि शिंदे ने हिंदुत्व के मुद्दे पर बगावत की है और मनसे भी हिंदुत्व के मुद्दे पर लगातार आक्रामक होती दिख रही है.
चर्चा इसलिए शुरू हुई क्योंकि शिवसेना ने दावा किया कि शिंदे समूह को नियमानुसार किसी अन्य पार्टी के साथ विलय करना होगा, तभी उनकी सदस्यता बरकरार रह पाएगी.
मनसे के राजू पाटिल विधानसभा में एकमात्र विधायक हैं. इस बारे में बात करते हुए राज ठाकरे के करीबी नेता कहते हैं, “मुझे नहीं लगता कि शिंदे मनसे में शामिल होंगे. क्योंकि बीजेपी ऐसा नहीं होने देगी.”
उन्होंने आगे कहा, “अगर शिंदे मनसे में शामिल होते हैं, तो मनसे को फायदा होगा. लेकिन अगर मनसे मजबूत होती है तो बीजेपी को चुनाव में मुश्किल होगी. बीजेपी नहीं चाहेगी कि मनसे भी मजबूत हो. इसलिए शिंदे के मनसे में शामिल होने की कोई संभावना नहीं है.”
हालांकि शिवसेना के बाग़ी विधायक और एकनाथ शिंदे के करीबी दीपक केसरकर ने मीडिया के सामने ये साफ़ किया है कि, “किसी अन्य पार्टी में शामिल होने का सवाल ही नहीं उठता. हम शिवसेना नहीं छोड़ेंगे.”
यही सवाल शिवसेना नेता संजय राउत के सामने भी रखा गया कि पार्टी के असंतुष्ट विधायकों के सामने मनसे में विलय का विकल्प है.
इस सवाल पर संजय राउत ने कहा, “वे किसी भी पार्टी में विलय कर सकते हैं. उन्हें विलय करना होगा. अगर मनसे को इस तरह से मुख्यमंत्री का पद मिलता है, तो यह ऐतिहासिक होगा.”
Credit : BBC Hindi