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संसद का मानसून सत्रः प्रधानमंत्री को भी देना होगा नो-कोविड सर्टिफिकेट तब मिलेगी एंट्री; शनिवार-रविवार को भी होगा काम, 18 दिन कोई छुट्टी नहीं

संसद का मानसून सत्र 14 सितंबर से शुरू होने वाला है। जब से सरकार ने बताया कि प्रश्नकाल नहीं होगा और शून्यकाल की अवधि एक घंटे से घटाकर आधा घंटा कर दी है, तब से इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना हो रही है। लेकिन, मानसून सत्र में सिर्फ इतना ही नहीं बदलने वाला। कोरोना महामारी को देखते हुए ऐसे कई कदम उठाए गए हैं, जो 1952 से अब तक के संसदीय इतिहास में पहली बार देखने को मिलेंगे।

जरूरत क्या थी संसद का सत्र बुलाने की?

भारतीय संसदीय परंपरा कहती है कि एक सत्र खत्म होने के छह महीने बाद अगला सत्र बुला लिया जाए। इस बार कोविड-19 के कारण बजट सत्र भी जल्दबाजी में समेट लिया गया था। 23 मार्च के बाद से संसदीय कार्यवाही नहीं हुई है। ऐसे में विधायी काम अटके पड़े हैं। इसी वजह से संसद सत्र बुलाना आवश्यक हो गया था। कोविड-19 को देखते हुए विशेष इंतजाम किए गए हैं। यह एक तरह से पूरे देश को संदेश भी है कि ‘न्यू नॉर्मल’ में जीना सीख लें क्योंकि कोरोना जल्दी खत्म होने वाला नहीं है।

सांसदों के लिए क्या गाइडलाइन रहेगी?

सांसदों को मिलने वाली छुट्टियों का क्या?

सिटिंग अरेंजमेंट क्या होगा?

टेक्नोलॉजी की मदद किस तरह ली जा रही है?

प्रश्नकाल और शून्यकाल का क्या होगा?

हर सांसद को डीआरडीओ की किट

सांसद के जूतों और कार का भी ख्याल

एक दिशा में चलेंगे सभी सांसद

यह भी होगा संसद परिसर में इंतजाम

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