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Bharat Petroleum बेचने को तैयार मोदी सरकार, रिलायंस लगा सकती है बोली

नोमुरा के नोट के अनुसार बीपीसीएल में हिस्सेदारी खरीदने के बाद रिलायंस को 25 फीसदी मार्केट शेयर हासिल हो जाएगा। इसमें 3.4 करोड़ टन की अतिरिक्त रिफाइनिंग क्षमता के साथ ही उसे सार्वजनिक कंपनी की संपत्ति पर भी अधिकार मिलेगा।

मोदी सरकार तेल सरकारी तेल मार्केटिंग कंपनी भारत पेट्रोलियम में अपनी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में है। सरकारी कंपनी में हिस्सेदारी खरीदने के लिए मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) बोली लगा सकती है।

जापानी स्टॉकब्रोकर नोमुरा रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज के अलावा सरकारी क्षेत्र की एक अन्य तेल कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने भी बीपीसीएल में हिस्सेदारी खरीदने में रुचि दिखाई है। मालूम हो कि हाल ही में विनिवेश मामलों के कोर ग्रुप ने रणनीतिक निवेश के तहत बीपीसीएल में सरकार की पूरी 53.29 फीसदी को बेचने की सिफारिश की थी।

नोमुरा का कहना है कि सचिवों की समिति की तरफ से कंपनी में सरकार की पूरी हिस्सेदारी बेचे जाने की सिफारिश के बाद इस सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी बीपीसीएल के निजीकरण की संभावना बढ़ गई है। हमें लगता है कि इस मामले में कैबिनेट की मंजूरी सिर्फ औपचारिकता भर है।

वैसे भी जिस एक्ट के तहत बीपीसीएल का राष्ट्रीयकरण किया गया था उसे हटाया जा चुका है। ऐसे में इस संबंध में कोई कानूनी बाधा भी नहीं आनी चाहिए। निवेशकों को भेजे गए नोट में नोमुरा ने कहा है कि भले ही रिलायंस रिफाइनिंग/केमिकल में अपनी हिस्सेदारी कम करना चाहती हो और कर्ज को शून्य करना चाहती हो लेकिन वह बीपीसीएल में हिस्सेदारी खरीदने के लिए बोली लगा सकती है।

नोमुरा के नोट के अनुसार बीपीसीएल में हिस्सेदारी खरीदने के बाद रिलायंस को 25 फीसदी मार्केट शेयर हासिल हो जाएगा। इसमें 3.4 करोड़ टन की अतिरिक्त रिफाइनिंग क्षमता के साथ ही उसे सार्वजनिक कंपनी की संपत्ति पर भी अधिकार मिलेगा। इतना ही नहीं कंपनी के करीब 15000 पेट्रोल पंप के जरिये रिलायंस को अपना बिजनेस बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण रूप से मदद मिलेगी।

हालांकि, इस मामले में रिलायंस की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। नोमुरा का अनुमान है कि भारत पेट्रोलियम की अनुमानित कीमत 750 से 850 रुपये प्रति शेयर हो सकती है। किसी भी बोलीदाता की तरफ से यदि इसकी खरीद में रुचि नहीं दिखाई जाती है तो सरकार इंडियन ऑयल से इसे खरीदने को कह सकती है।

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