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BJP के हाथ से गई महाराष्ट्र की सत्ता, बुलेट की रफ्तार पर लगेगा ब्रेक?

देश के सबसे धनी राज्य महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सत्ता से बाहर हो जाने से पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन परियोजना खटाई में पड़ सकती है. राज्य की सत्ता संभालने जा रही शि‍वसेना और एनसीपी ने इस परियोजना की राह में मुश्किल खड़ी करने के संकेत दिए हैं.

जापान के सहयोग से बन रही इस परियोजना का कुछ इलाकों के किसान पहले से ही विरोध कर रहे हैं.  बुलेट ट्रेन प्रोग्राम में राज्य सरकारों की तरफ से भी पैसा दिया जाना है, इसमें जो महाराष्ट्र का हिस्सा है उसे रोका जा सकता है. महाराष्ट्र का इस फंड में 25 फीसदी का हिस्सा है.

गौरतलब है कि कई दिनों तक चले नाटकीय घटनाक्रम के बाद बीजेपी नेता और सीएम देवेंद्र फडणवीस को इस्तीफा देना पड़ा और गुरुवार शाम को शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे सीएम पद की शपथ लेने जा रहे हैं. राज्य में शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और कांग्रेस के गठबंधन की सरकार बन रही है.

बुलेट ट्रेन बीजेपी और पीएम मोदी के लिए एक अति महत्वाकांक्षी और बहचर्चित परियोजना है. पहली बुलेट ट्रेन साल 2022 से अहमदाबाद से मुंबई के बीच 508 किमी की दूरी में चलाने की योजना है.

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक बुलेट ट्रेन परियोजना पर करीब 17 अरब डॉलर (करीब 1,21,500 करोड़ रुपये) का भारी-भरकम निवेश होना है और इसका काफी हिस्सा जापान से मिलने वाले कम ब्याज के दीर्घकालिक लोन से पूरा होगा. साल 2017 में जब यह प्रोजेक्ट शुरू हुआ तो गुजरात और महाराष्ट्र दोनों में बीजेपी की सरकार थी.

शिवसेना ने किया विरोध

शिवसेना की एक प्रवक्ता मनीषा कयांदे ने रॉयटर्स से कहा, ‘हमने हमेशा बूलेट ट्रेन का विरोध किया है. हमारा राज्य इस परियोजना के लिए बड़ा धन दे रहा है, जबकि इसके रेलमार्ग का ज्यादातर हिस्सा दूसरे राज्य में है. इसमें निश्चित रूप से बदलाव होने चाहिए.’ 

बुलेट ट्रेन परियोजना अपनी शुरुआत से ही कई तरह की अड़चनों का सामना कर रही है. इसके ट्रैक के लिए जमीन अधिग्रहण का काम अभी पूरा नहीं हुआ है, क्योंकि खासकर रास्ते में पड़ने वाले फल उत्पादक किसान इसका विरोध कर रहे हैं.

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने क्या कहा

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘हम बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं के विरोधी नहीं हैं, लेकिन किसानों के हितों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. हम इस परियोजना पर पुनर्विचार करेंगे क्योंकि किसान इसका विरोध कर रहे हैं.’ 

हाल में अहमदाबाद हाईकोर्ट ने भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया व अपर्याप्त मुआवजे के खिलाफ किसानों की ओर से दायर 100 से अधिक याचिकाओं को खारिज कर दिया. लेकिन हाई कोर्ट के फैसले से दुखी किसानों ने सुप्रीम कोर्ट में जाने का निर्णय लिया है.


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