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ग़रीबी का ज़िक्र कर भावुक हुए मोदी, बोले- ‘मौज नहीं मिशन के लिए काम कर रहा हूं’

Modi became emotional after mentioning poverty

Modi became emotional after mentioning poverty

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक और राजनैतिक रैली में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को शहज़ादा कहकर तंज़ किया और अपने संघर्ष और ग़रीबी का ज़िक्र किया.

प्रधानमंत्री मोदी ने झारखंड में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा, “आपके आशीर्वाद से 25 साल हो गए. मोदी पर एक पैसे के घोटाले का आरोप नहीं लगा है. मेरे लिए तो मेरी ये मां-बहनें बैठी हैं, उनकी दुआ और आशीर्वाद ही मेरे लिए काफ़ी है, मुझे जीवन में किसी और चीज़ की ज़रूरत नहीं है. मैं आज भी पद-प्रतिष्ठा, सुख-समृद्धि इन सबसे दूर वैसा ही हूं जैसा आपने मुझे यहां भेजा था.

उन्होंने कहा, “मोदी, मौज नहीं मिशन के लिए पैदा हुआ है. जेएमम, कांग्रेस के नेताओं ने भ्रष्टाचार से अपारा धन संपदा खड़ी की है. मेरे पास अपनी साइकिल भी नहीं है, ना मेरा कोई घर है. संपत्ति हो, राजनीति हो, सबकुछ ये अपने-अपने बच्चों के लिए अर्जित कर रहे हैं. ये उनके लिए विरासत में ढेर सारी काली कमाई छोड़ कर जाएंगे. लेकिन मोदी को किसके लिए छोड़ना है भाई, ना आगे कुछ है, ना पीछे कुछ है. मेरे वारिस आप सब ही हैं. आपके बच्चे, आपके नाती-पोते यही मेरे वारिस हैं.”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर अपने संघर्षपूर्ण बचपन का ज़िक्र करते हुए कहा, “मेरे जीवन को आप भली भांति जानते हैं, मैं ग़रीबी का जीवन जीकर आया हूं, मैंने ग़रीबी को जिया हो, ग़रीब की ज़िंदगी कितनी तकलीफ़ वाली होती है उससे गुजरते-गुजरते मैं यहां आया हूं. इसलिए दस वर्षों में ग़रीब कल्याण की हर योजना ने मेरे अपने अनुभव से जन्म लिया है. मैं आज जब लाभार्थियों से मिलता हूं तो ख़ुशी के मारे मेरी आंख से आंसू निकल आते हैं. ये आंसू वही समझ सकता है, जिसने ग़रीबी देखी हो, जिसने कष्टमय जीवन गुजारा हो, जिसने मां को धुएं में खांसते देखा नहीं, उसको ये आंसू कभी भी समझ नहीं आ सकते हैं. जिसने अपना पेट बांधकर मां को सोते नहीं देखा, जिसने लोटा भर पानी पीकर मां को भूख मिटाते नहीं देखा, जिसने अपनी बीमारी को छिपाते नहीं देखा, शौचालय के अभाव में पीड़ा और अपमान सहती मां को नहीं देखा, वो मोदी के इन आंसुओं का मर्म नहीं समझेगा.”

राहुल गांधी का नाम लिए बिना उन पर टिप्पणी करते हुए मोदी ने कहा, “ये कांग्रेस के शहज़ादे, मोदी के आंसुओं में अपनी ख़ुशी ढूंढ रहे हैं, कहते हैं मोदी के आंसू अच्छे लगते हैं. ये निराश-हताश लोग अब इतने कुंठित हो गए हैं.”

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