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|| दो शब्द || राष्ट्र के समक्ष कोई बड़ा खतरा है || कल्पेश याग्निक

राष्ट्र स्तब्ध। न्याय क्रुद्ध।

न्यायाधीश उग्र। चार न्यायाधीश। सर्वाधिक वरिष्ठ। आरोप अभूतपूर्व। ऐतिहासिक पहल। प्रेस काॅन्फ्रेंस। चीफ जस्टिस। चहुंमुखी घिरे। सर्वोच्च हमला। अनसोचा विद्रोह। अपनों से। दैत्याकार धक्का।

किन्तु कारण। कारण कई। अवसर अनेक।

प्रधान न्यायाधीश। प्रधान जिम्मेदारी। न्याय की। प्रशासन की। काम की। देने की। मुकदमों की। बांटने की। सबको मिले। वरिष्ठता से। नियम से। परम्परानुसार मिले। नहीं दिए। आरोप यही। अापत्ति कड़ी। अलग किए। ग़लत दिए। अनदेखा किया। वरिष्ठ भूले। वरीयता छोड़ी। मनमाने निर्णय। कनिष्ठ भाये। यही क्रोध। चार जज। सामने चीफ। जस्टिस चाहिए। जजों को। राष्ट्र को। लोकतंत्र को। इसीलिए खुले। खुलकर बोले। लोग जाने। सभी समझे। नहीं चलेगा। मत चलाओ।

किन्तु उद्देश्य? कानून अंधा। न्याय दूर। जज वरिष्ठ। जज विद्वान। सरकार स्वार्थी। विपक्ष अवसरवादी। जनता त्रस्त। जाएं कहां? केवल कोर्ट। सुप्रीम कोर्ट। सुप्रीम श्रृद्धा। अंतिम भरोसा। तारीख-तारीख। बारम्बार तारीख। फिर भी। अटूट भरोसा।

किन्तु चरमराया। झटके लगे। एेसी लड़ाई? इतना विवाद? ऐसा स्तर? सर्वोच्च न्यायालय?

रहस्य होगा? अवश्य होगा। घपले होंगे। घोटाले होंगे। ताकत है। तो दुरुपयोग। अधिकार है। तो अराजकता। इनकी हो। या उनकी।

मेडिकल घोटाला। सबने देखा। बेंच बदली। सबने जाना। बेंच बनाई। मानना पड़ा। विवाद बढ़ा। वकील लड़े। सब हुआ। अप्रत्याशित था। पर घटा। हुए सवाल। उठी उंगली। उत्तर नहीं।

बहुत हैं। अनसुलझे राज। जज लोया। रहस्यमय मृत्यु। उठे संदेह। आई याचिका। बॉम्बे में। निगाहें थीं। कारण थे। नाम थे। सत्ता के। सत्ताधारियों के। सुनवाई थी। किन्तु रुको। अचानक सुना। बॉम्बे नहीं। सुप्रीम ने। भृकुटियां तनी। अचानक क्यों? यहां क्यों?

स्पष्ट नहीं। सब धुंधला। बड़े हैं। श्रेष्ठ हैं। सर्वशक्तिमान हैं। सर्वाधिक सुरक्षित। चिन्ता है। चिंतित हैं। अहम है। अहंकार है। लोग कहां? लाचार हैं।

सुनामी लाए। ले आए। चूंकि सक्षम। चूंकि गहरे। चूंकि सजग।

तबाही होगी। मर्यादा ध्वस्त। अमर्यादित व्यस्त। राजनीति मुस्तैद। महान् अवसर। षड्यंत्र होंगे। अभियोग लगेंगे। कि महाभियोग? बातें हैं। बढ़ेंगी ही।

सब होगा। न्याय नहीं।

यही हुआ? दिखा यही। आगे क्या? सब चुप। चीफ़ जस्टिस? एकदम शांत। नहीं बोलेंगे? आवश्यक नहीं। अनदेखा करेंगे? संभव नहीं। बदलाव आएगा?

अवश्य आएगा। इसी वर्ष। नई प्रक्रिया। सात न्यायाधीश। चीफ जस्टिस। होंगे सेवानिवृत।

नए तरीके। लोकतांत्रिक होंगे। न्यायप्रिय होंगे। धब्बे मिटेंगे। कलंक धुलेंगे।

उम्मीद है। सिर्फ कोर्ट। सुप्रीम कोर्ट। अब भी। हमेशा ही।

सत्यमेव जयते।

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