Site icon Oyspa Blog

भारतीय API मेकर्स की बल्ले-बल्ले, चाइनीज फार्मा सेक्टर को गहरा धक्का

चाइनीज फार्मा सेक्टर को गहरा धक्का, भारतीय API मेकर्स की बल्ले-बल्लेIndia-Ra के असोसिएट डायरेक्टर कृष्णनाथ मुंडे का कहना है कि भारत में API बनाने वाली कंपनियों को बेहतर इंवेंट्री मैनेजमेंट का लाभ होता दिख रहा है। उनका जोर कस्टमर्स के साथ बेहतर सप्लाई-चेन सिस्टम पर है। ग्लोबल कस्टमर्स द्वारा खरीद के पैटर्न में भी काफी बदलाव आया है। वे अब चीन के विकल्प की तलाश कर रहे हैं जहां से API की जरूरत के हिसाब से खरीदारी कर सकें।

अभी भी चीन पर बड़ी निर्भरता


भारत की बात करें तो बदलाव की शुरुआत जरूर हुई है, लेकिन अभी भी यहां की फार्मा कंपनियां API के लिए बहुत हद तक चीन पर निर्भर हैं। भारत अपनी जरूरत का 70 फीसदी API चीन से आयात करता है। कई महत्वपूर्ण दवाओं के लिए तो वह 90 फीसदी तक API का चीन से आयात करता है।

वॉल्यूम के लिहाज से तीसरे नंबर पर भारत


भारत में फार्मा सेक्टर काफी बड़ा है। वॉल्यूम के लिहाज से यह विश्व में तीसरे नंबर पर आता है। ग्लोबल जेनरिक मेडिसिन डिमांड का यह 20 फीसदी अकेले सप्लाई करता है। वैक्सीन की बात करें तो ग्लोबल वैक्सीन डिमांड सप्लाई में इसकी हिस्सेदारी 62 फीसदी के करीब है।

USFDA से अप्रूव्ड सबसे ज्यादा एपीआई फसिलटी


API इंडस्ट्री की बात करें तो भारत के पास USFDA ( US Food and Drug Administration) की तरफ से अप्रूव्ड सबसे ज्यादा एपीआई फसिलटी है। यही वजह है कि भारतीय API इंडस्ट्री के पास यह शानदार मौका है जब वह ग्लोबल सप्लाई चेन में अपनी अहमियत स्थापित कर सके।

API की डिमांड काफी बढ़ी


कोरोना संकट के बीच भारतीय फार्मा कंपनियों की API डिमांड काफी बढ़ गई है। DCGA ने कई कंपनियों को कोरोना ट्रीटमेंट में दवा बनाने की मंजूरी दी है। ये दवाईयां एक्सपेरिमेंटल हैं, लेकिन असर हो रहा है। ऐसे में उन दवाओं को बनाने के लिए जिस API की जरूरत होती है, उसकी डिमांड काफी बढ़ गई है।

Exit mobile version