Site icon Oyspa Blog

धर्म से क्या फर्क पड़ता है: हिंदुओं ने कराया निकाह, ब्राह्मण दंपती ने किया कन्यादान

देश में डर का माहौल और नफरत फैला रहे लोगों के लिए यह निकाह मिसाल है। रिश्ता हो तो इंसानियत का, सौहार्द्र ऐसा हो कि दूसरे सीख लें। रविवार को उप्र के बागपत के गांव अब्दुलपुर में मुस्लिम बेटी का निकाह हिदू समाज के लोगों ने कराया।

यह भेदभाव और द्वेष भूलकर आपस में मिलजुलकर रहने की सीख दे रहा है। यहां हिदू समाज के लोगों ने मुस्लिम बेटी का निकाह संपन्न कराया। यही नहीं ब्राह्माण दंपती ने कन्यादान किया।

मुस्लिम बेटी गुलफसा के पिता 28 साल से लापता हैं। घर की माली हालत बेहद खराब है। ऐसे में गांव का हिदू समाज आगे आया। ब्राह्माण दंपती ने कन्यादान की रस्म पूरी की तो अन्य लोग बरात की खातिरदारी में जुट गए। यह किसी बेटी की शादी में सहयोगभर नहीं था। एक तरफ यह महजबी खाई खोदने वालों के लिए सबक था तो दूसरी तरफ इंसानियत का कुबूलनामा भी। गुलफसा खुशी-खुशी ससुराल रुख्सत हुई तो सबकी आंखें छलक पड़ीं।बेटी की शादी करने का धर्म पूरा किया

गंगेश्वर कहते हैं, धर्म से क्या फर्क पड़ता है। उन्होंने एक पिता की तरह बेटी की शादी करने का धर्म पूरा किया है। मौलाना इसरार का कहना है कि अब्दुलपुर में मुस्लिम युवती के निकाह में हिदुओं ने भरपूर सहयोग कर भाईचारे का संदेश दिया है। बागपत के बाबा जानकी दास मंदिर के पंडित पं. राजकुमार शास्त्री का कहना है कि यह पहल सचमुच सराहनीय है।

बरात की आवभगत में जुटा पूरा गांव

गाजियाबाद की पूजा कालोनी निवासी अय्यूब रविवार को बरात लेकर गांव पहुंचे तो पूरा गांव आवभगत में जुट गया। पं. गंगेश्वर शर्मा ने हिदू समाज के माध्यम से रकम जुटाई। गंगेश्वर शर्मा और उनकी पत्नी कांता देवी ने गुलफसा का कन्यादान किया। गुलफसा के भाई शाकिर के अनुसार, 150 लोगों को भोजन कराया गया। हसनपुर मसूरी की मस्जिद के मौलवी कारी मोहम्मद ने निकाह पढ़वाया।

Exit mobile version