जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद दुनिया के कई देशों ने सवाल खड़े किए हैं. भारत के बुलावे पर यूरोपियन यूनियन के कुछ सांसदों ने जम्मू-कश्मीर का दौरा भी किया. लेकिन सोमवार को ब्रिटेन की लेबर पार्टी की सांसद डेबी अब्राहम को भारत आने से रोकने का फैसला करते हुए दिल्ली एयरपोर्ट से ही वापस भेज दिया गया. इस मसले पर ब्रिटिश सांसद ने सरकार के फैसले पर सवाल उठाए हैं.
डेबी अब्राहम ब्रिटिश सांसद हैं और ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री ग्रुप ऑफ कश्मीर की अध्यक्ष हैं. सोमवार सुबह करीब 8.50 पर जब डेबी अब्राहम दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचीं, तो उन्हें बताया गया कि उनका वीज़ा कैंसिल कर दिया गया है. हालांकि, ये वीज़ा अक्टूबर 2020 तक मान्य था.
Just to be clear, I have Indian relatives who I was meant to be visiting with & have Indian members of staff accompanying me. The reason I got into politics is advance social justice & human rights FOR ALL. I will continue to challenge my own Government & others on these issues.
— Debbie Abrahams MP (@Debbie_abrahams) February 17, 2020
भारत में एंट्री रद्द होने के मसले पर ब्रिटिश सांसद ने कहा, ‘हर किसी की तरह मैंने भी ई-वीज़ा के साथ डॉक्यूमेंट दिखाए, लेकिन एयरपोर्ट अथॉरिटी ने मना कर दिया. मुझे बताया गया कि मेरा वीजा कैंसिल हो गया है और वो मेरा पासपोर्ट लेकर कुछ देर के लिए चले गए.’
इस विवाद पर केंद्रीय गृह मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि ब्रिटिश सांसद का ई-वीज़ा पहले ही कैंसिल कर दिया गया था और उन्हें इस बारे में सूचना भी दी गई थी. जब वह इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर आईं तो उनके पास वीज़ा नहीं था.
इतना ही नहीं उन्होंने ट्विटर पर भी अपनी शिकायत दर्ज की. अपने ट्वीट में लिखा, ‘मैं अपनी भारतीय रिश्तेदारों से मिलने जा रही थी, मेरे साथ हिंदुस्तानी स्टाफ मेंबर भी थे. मैंने राजनीतिक आवाज सिर्फ ह्यूमन राइट्स के लिए उठाई. मैं अपनी सरकार के खिलाफ इस मसले पर सवाल उठाती रहूंगी.’
बता दें कि डेबी अब्राहम की गिनती भारत के द्वारा जम्मू-कश्मीर को लेकर किए गए फैसले की आलोचना करने वालों में होती है. पांच अगस्त के बाद उन्होंने कई ऐसे ट्वीट किए हैं जो मोदी सरकार की कश्मीर नीति पर सवाल उठाते हैं.
गौरतलब है कि अभी तक दो दौरे पर यूरोपियन यूनियन के कई सांसद जम्मू-कश्मीर का दौरा कर चुके हैं. इस मसले पर भारत में भी कई बार विवाद हो चुका है. भारत की राजनीतिक पार्टियों ने EU सांसदों के दौरे पर सवाल खड़े किए थे और आरोप लगाया था कि स्थानीय सांसदों की बजाय विदेशी लोगों को कश्मीर भेजा जा रहा है.