आगामी 1 अप्रैल से बैंकिंग सेक्टर में बड़ा बदलाव होने जा रहा है. इस बदलाव के बाद देश को 4 नए सरकारी बैंक मिल जाएंगे. इसको केंद्र की मोदी सरकार ने भी मंजूरी दे दी है. बहरहाल, आइए जानते हैं कि आखिर अप्रैल में क्या होगा बदलाव..
दरअसल, बीते साल अगस्त में सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए 10 सरकारी बैंकों का विलय कर 4 बैंक बनाने की घोषणा की थी.
इसके तहत यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स का विलय पंजाब नेशनल बैंक में, सिंडिकेट बैंक का केनरा बैंक में, इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक में और आंध्र बैंक-कॉरपोरेशन बैंक का विलय यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में करने का प्रस्ताव है.
अब इस विलय के प्रस्ताव को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है. यहां बता दें कि संबंधित बैंकों के निदेशक मंडल ने विलय के प्रस्ताव को पहले ही मंजूरी दे दी है.
इस मंजूरी के बाद अब देश को 4 नए बैंक मिलेंगे. हालांकि, इन बैंकों के नाम और लोगो में बदलाव को लेकर अब तक स्थिति स्पष्ट नहीं है.
बता दें कि साल 2017 में 27 सरकारी बैंक थे.लेकिन अब इस नए विलय ऐलान के साथ ही पिछले 2 साल में पीएसयू बैंकों की संख्या 27 से घटकर 12 हो गई है.
इसका मतलब है कि मोदी सरकार में दो साल में 15 सरकारी बैंकों का दूसरे बैंकों में विलय कर दिया गया. इस विलय को लेकर सरकार का तर्क है कि कामकाज में सुधार आएगा, तो वहीं एनपीए पर काबू पाया जा सकेगा.
सरकार की मानें तो बैंकिंग सेक्टर में सुधार की वजह से ही बैंकों का कुल फंसा कर्ज (एनपीए) दिसंबर 2018 के अंत में 8.65 लाख करोड़ रुपये से घटकर 7.9 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया.
इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय बैंकों का दबदबा बढ़ेगा. बता दें कि बैंकों का विलय 1 अप्रैल से प्रभावी होने वाला है.