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अमेरिका ही नहीं सऊदी अरब ने भी बढ़ाया पाकिस्तान पर दबाव

पुलवामा में सीआरपीएफ के 40 जवानों की आतंकवादी हमले में हुई मौत के बाद से ही पूरे देश में शोक और गुस्सा दोनों ही चरम पर पहुंच गया। सरकार पर इस मामले में आतंकवादियों के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई करने का जबर्दस्त दबाव था।

हमारी खुफिया एजेंसियों ने अपने वैश्विक स्रोतों के जरिए पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के बालाकोट में आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के बड़े ठिकाने की जानकारी जुटाई। इसमें भारत के कुछ मित्र देशों के खुफिया संगठनों ने भी मदद की।

इसके बाद भारत के लड़ाकू मिराज विमानों ने न सिर्फ एलओसी पार की बल्कि अंतरराष्ट्रीय सीमा पारकर पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर बम बरसाए। बालाकोट में भारतीय वायुसेना द्वारा आतंकवादी अड्डों की तबाही के बाद पाकिस्तानी वायुसेना के विमानों की भारतीय सीमा में घुसपैठ के बाद दोनों देशों के बीच युद्ध के हालात बन गए थे। लेकिन अमेरिका की कूटनीतिक सक्रियता ने दक्षिण एशिया के इन दोनों देशों की बारूदी भिडंत नहीं होने दी।

भारत की कूटनीतिक जीत 

गौरतलब है कि आतंकवादी ठिकानों पर हवाई हमले की अपनी संभावित कार्रवाई की जानकारी भारत अमेरिका को पहले ही दे चुका था और भारत के आत्मरक्षा के अधिकार के तहत अमेरिका ने इस पर कोई एतराज भी नही जताया था। बल्कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट के जरिए पहले ही बता दिया था कि भारत कुछ बड़ा कर सकता है।

साथ ही अमेरिका जो इन दिनों अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चत करने के लिए कतर की राजधानी दोहा में तालिबान के नेताओं के साथ शांति वार्ता में जुटा है, वह नहीं चाहता है कि दक्षिण एशिया में भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध या संघर्षपूर्ण तनाव के हालात बनें।

क्योंकि अफगान शांति समझौते की सफलता, बिना पाकिस्तान के सहयोग के मुमकिन नहीं है और अमेरिका हर हालत में इस समझौते को सफल बनाना चाहता है। इसलिए वह पाकिस्तान को किसी भी हालत में युद्ध या किसी अन्य संकट में नहीं फंसने देना चाहता है।

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