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झारखंड के एक युवक ने रांची से सिंगापुर तक की यात्रा साइकिल से पूरी की है

झारखंड के एक युवक ने रांची से सिंगापुर तक की यात्रा साइकिल से पूरी की है. 49 दिन में 6000 किलोमीटर की दूरी और 6 देशों का दौरा करके लौटे अकरम अंसारी का रांची में जोरदार स्वागत हुआ.

अपने सफर में वह भारत के अन्य राज्यों के अलावा बांग्लादेश, म्यांमार, थाईलैंड, मलयेशिया और सिंगापुर गये. साइकलोथॉन 3.0 का उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा, वंचित बच्चों की शिक्षा और ट्रांसजेंडर को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए लोगों को जागरूक करना था. ब्लेस ‘एन’ ब्लिस (Bless N Bliss) के संस्थापक और अध्यक्ष अकरम अंसारी जब स्वदेश लौटे, तो बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर ढोल-नगाड़ा बाजकर उनका जोरदार स्वागत किया गया. अकरम ने बताया कि यात्रा के दौरान उन्होंने मैंने XLRI जमशेदपुर, IIT खड़गपुर, सैक्रेड कॉन्वेंट स्कूल, AIUB यूनिवर्सिटी, बांग्लादेश एंड एनयूएस बिजनेस स्कूल सिंगापुर जैसे कई संस्थानों में उनके पांच सेमिनार हुए. अकरम ने बताया कि उन्होंने इन जगहों पर ‘साइकलोथॉन 3.0’ और इसके उद्देश्य के बारे में बात की. साथ ही अपने संगठन के बारे में भी दुनिया को बताने की कोशिश की. उन्होंने बताया कि ‘ब्लेस एन ब्लिस’ की कई परियोजनाएं हैं. वंचित बच्चों के लिए BnB शिक्षालय, महिलाओं के शारीरिक और मनोवैज्ञानिक प्रशिक्षणके लिए BnB Shaksham, ट्रांसजेंडर के लिए कौशल विकास के लिए BnB स्वाभिमान जैसे कार्यक्रम उनकी संस्था चला रही है. अकरम ने बताया कि अत्यधिक गर्मी की वजह से उनकी यात्रा चुनौतियों से भरी थी, क्योंकि तेज धूप में निर्माणाधीन सड़कों और पहाड़ी क्षेत्रों से गुजरना था. बारिश में ऐसी सड़कों से साइकिल यात्रा बेहद चुनौतीपूर्ण थी. उन्होंने बताया कि म्यांमार में रहने में परेशानी हुई, क्योंकि वहां टेंट लगाने की अनुमति नहीं है. बावजूद इसके उन्होंने अपने मिशन को पूरा किया. अकरम ने कहा कि तय समय पर संगोष्ठियों में पहुंचने के लिए उन्होंने एक दिन में 15-15 और 20-20 घंटे साइकलिंग की. एक-एक दिन में 170 से 200 किलोमीटर तक की दूरी तय की. म्यांमार में उन्हें 130 किमी की दूरी तय करनी थी. इस मार्ग में एक सड़क का निर्माण चल रहा था, जहां साइकिल चलाना लगभग असंभव था. कच्ची सड़क पर साइकलिंग बेहद मुश्किल था. कई बार उन्हें अपनी साइकिल कंधे पर लेकर आगे बढ़ना पड़ा. मंदिर, मस्जिद और जंगल बना ठिकाना सड़कों के अलावा अकरम के लिए परदेस में रात गुजारने के लिए ठिकाना भी एक बड़ी समस्या थी. उन्होंने बताया कि उन्होंने मंदिरों, मस्जिदों के साथ-साथ बौद्ध मंदिर में रातें गुजारीं. वहां विश्राम किया. इसके अलावा कई ऐसे मौके आये, जब उन्हें जंगल में रात बितानी पड़ी. साइकलिस्ट, माउंटेनियर और एथलीट मोहम्मद अकरामुद्दीन अंसारी उर्फ अकरम अंसारी की यह तीसरी साइकिल यात्रा थी. इसके पहले 15 अगस्त, 2016 को उन्होंने 100 किलोमीटर की यात्रा की थी, जबकि 25 दिसंबर, 2017 में 400 किलोमीटर की यात्रा की. ऐसी यात्रा के जरिये अकरम लोगों को महिलाओं की सुरक्षा और लैंगिक समानता के प्रति जागरूक करते हैं. इस बार उन्होंने बड़ी योजना बनायी, ताकि बड़े पैमाने पर लोगों को अपने अभियान से जोड़ सकें. इसे भी पढ़ लें समय रहते माता-पिता और बच्चे की Genetic जांच हो जाये, तो कोई नहीं बनेगा ‘किन्नर’ जेनेटिक रोगों से निजात दिलायेगी जांच और जागरूकता, रांची में बोले अर्जुन मुंडा रांची के रिम्स में जन्म के साथ ही शुरू हो जायेगा जन्मजात आनुवांशिक रोगों का इलाज Jharkhand : रांची में एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट कंपोनेंट ‘UMMID’ की लांचिंग

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