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हैदराबाद चुनाव में 86% रहा ओवैसी का स्ट्राइक रेट 51 सीटों में से 44 पर जीत 3 हिंदू उम्मीदवारों ने दर्ज की जीत; निभा सकते हैं किंगमेकर की भूमिका

Asaduddin-owaisi

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GHMC Election Results 2020 : 2016 के GHMC चुनावों में सत्ताधारी तेलंगाना राष्ट्रीय समिति ने 99 सीटें जीती थीं और मेयर पद पर कब्जा जमाया था. तब बीजेपी को सिर्फ 4 और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM को 44 सीटें मिलीं थीं. बीजेपी ने धुआंधार प्रचार और हिन्दू कार्ड खेलते हुए हैदराबाद में जबर्दस्त जीत दर्ज की है और अपनी ताकत 12 गुना बढ़ाई है.

 ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव (Greater Hyderabad Municipal Corporation Election) पूरे हो चुके हैं. इस बार के चुनाव कई मायनों में काफी खास रहे हैं. एक ओर बीजेपी (BJP) का मेगा प्रचार, तो दूसरी ओर असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) के हिंदू उम्मीदवारों की जीत है. खास बात है कि नगर निगम चुनाव में AIMIM प्रमुख ने 5 हिंदू उम्मीदवारों को उतारा था, जिसमें से 3 ने जीत दर्ज कर ली है. वहीं, पिछले चुनाव के मुकाबले बीजेपी का प्रदर्शन भी शानदार रहा. पार्टी ने यहां 48 सीटों पर जीत दर्ज की. इस चुनाव की सबसे बड़ी पार्टी 55 सीटें जीतने वाली तेलंगाना राष्ट्र समिति रही है.

हैदराबाद के इस चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी को किंगमेकर (Kingmaker) के तौर पर देखा जा रहा है. इस बार उन्होंने 51 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें से 10 फीसदी आरक्षण के तहत 5 टिकट हिंदू उम्मीदवारों को दिए थे. खास बात है कि AIMIM के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले पुरानापुल वॉर्ड से सुन्नम राज मोहन, कारवन वॉर्ड से मांदागिरी स्वामी यादव और फलकनुमा वॉर्ड से के थारा भाई ने जीत का परचम लहराया है. जबकि, जामबाग वॉर्ड से जदाला रविंद्र और कुतुबुल्लापुर वॉर्ड से ई राजेश गौड़ को हार का मुंह देखना पड़ा.

ग्रेटर हैदराबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (GHMC) की कुल 150 सीटों पर 1 दिसंबर को हुए पार्षदों के चुनाव में राज्य की सत्ताधारी तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) 56 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है लेकिन उसे बहुमत हासिल नहीं हो सका है. लंबी छलांग लगाते हुए बीजेपी दूसरे नंबर की पार्टी बन गई है जबकि हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की पार्टी AIMIM बिना किसी सीट का नुकसान उठाए 44 सीटें जीतने में कामयाब रही है. कांग्रेस को मात्र दो सीटें मिली हैं.

आंकड़ों पर गौर करें तो ओवैसी की पार्टी का स्ट्राइक रेट सबसे अच्छा रहा है. ओवैसी ने 150 सदस्यों वाले नगर निगम में मात्र 51 सीटों पर ही उम्मीदवार उतारे थे और उनमें से 44 पर जीत दर्ज की. यानी ओवैसी का स्ट्राइक रेट 86 फीसदी से ज्यादा रहा है, जबकि TRS को 33 सीटें गंवानी पड़ी हैं. सीएम चंद्रशेखर राव की पार्टी को 2016 के चुनाव की तुलना में 40 फीसदी कम सीटें मिली हैं. 

2016 के GHMC चुनावों में सत्ताधारी तेलंगाना राष्ट्रीय समिति ने 99 सीटें जीती थीं और मेयर पद पर कब्जा जमाया था. तब बीजेपी को सिर्फ 4 और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM को 44 सीटें मिलीं थीं. बीजेपी ने धुआंधार प्रचार और हिन्दू कार्ड खेलते हुए हैदराबाद में जबर्दस्त जीत दर्ज की है और अपनी ताकत 12 गुना बढ़ाई है. 2018 में 117 सीटों पर हुए तेलंगाना विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 100 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे लेकिन उसके मात्र दो विधायक जीत सके थे लेकिन दो साल बाद ही पार्टी ने दक्षिणी राज्य में स्थानीय स्तर पर बड़ी पैठ जमाई है. 2023 के चुनावों में बीजेपी टीआरएस के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभरी है.

पहले त्रिकोणात्मक रहे चुनाव के परिणाम अब त्रिशंकु हो गए हैं. ऐसे में सवाल अब यह उठ रहे हैं कि ग्रेटर हैदराबाद का मेयर अब किस पार्टी का होगा. चूंकि बीजेपी ने टीआरएस को जबर्दस्त नुकसान पहुंचाया है और 2023 के असेंबली इलेक्शन में भी उससे खतरा है, ऐसे में संभव है कि टीआरएस मेयर पद के चुनाव में बीजेपी का साथ न ले. उधर ओवैसी ने चुनाव नतीजे आने के साथ ही इशारों में ही कह दिया है कि वो केसीआर का साथ देने को तैयार हैं.

दरअसल, दोनों ही नेताओं और पार्टियों को बीजेपी के बढ़ते कद से खतरा महसूस हो रहा है, इसलिए संभव है कि ये दोनों छत्रप बीजेपी के खिलाफ लामबंद हो जाएं. ऐसी स्थिति में ओवैसी टीआरएस के लिए किंगमेकर हो सकते हैं.

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