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ट्रांसफर में नहीं हुआ नियमों का पालन :SC में आलोक वर्मा के वकील बोले

सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई निदेशक आलोक कुमार वर्मा की याचिका पर सुनवाई शुरू हो गई है|

छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को महत्वपूर्ण सुनवाई होगी. दूसरी ओर,  दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और संयुक्त निदेशक एके शर्मा को एजेंसी के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी से संबंधित मामले की फाइल का केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) कार्यालय में निरीक्षण करने की अनुमति दे दी है|

मोदी 2 दिसंबर को स्वदेश लौटेंगे| प्रधानमंत्री मोदी ने अर्जेंटीना रवाना होने से पहले ट्वीट किया, ‘जी-20 ने तेजी से बढ़ रही वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं को आगे बढ़ाने के लिए उल्लेखनीय प्रयास किया है. वैश्विक अर्थव्यवस्था के विकास और समृद्धता के लिए भारत के प्रयास, पारदर्शी और स्थायी विकास के लिए भारत के प्रयासों को दर्शाते हैं. यही इस सम्मेलन का थीम भी है|

सुनवाई के दौरान आलोक वर्मा के वकील फली नरीमन ने दलील दी कि कमेटी की सिफारिश पर ही सीबीआई डायरेक्टर नियुक्त किया जाता है. डायरेक्टर का कार्यकाल न्यूनतम दो साल होता है. अगर इस दौरान असाधारण हालात में सीबीआई निदेशक का ट्रांसफर किया जाना है तो कमेटी की अनुमति लेनी होगी|

उन्होंने कहा कि ट्रांसफर में नियमों का पालन नहीं किया गया है| नरीमन ने कहा कि आलोक वर्मा की नियुक्ति 1 फरवरी 2017 को की गई थी| नियमानुसार उनका कार्यकाल पूरे दो साल तक है| अगर उनका ट्रांसफर ही करना था तो सेलेक्शन कमेटी करती|

कोर्ट में नरीमन ने सीवीसी का आदेश पढ़ते हुए कहा कि सीबीआई अधिकारी से सारी शक्तियां लेकर उनका ट्रांसफर कर दिया गया, जो नियमों के खिलाफ है. अगर सरकार को कुछ गलत लगता तो उसे पहले समिति में जाना चाहिए था. उनसे संपर्क करना चाहिए था|

मनीष सिन्हा की याचिका पर नरीमन ने पूछा कि एक मामला कोर्ट में दाखिल हुआ हो और सुनवाई के लिए नहीं आया हो तो क्या छपने पर कार्रवाई हो सकती है? इस पर कोर्ट ने कहा कि सुनवाई पर आने से पहले दाखिल हुई याचिका छापी जा सकती है. उस पर कोई प्रतिबंध नहीं है. सुप्रीम कोर्ट का ही फैसला है कि ये पब्लिश किए जा सकते हैं. भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी वर्मा ने छुट्टी पर भेजे जाने के केंद्र सरकार के निर्णय को चुनौती दी है|

पीठ को आलोक वर्मा द्वारा सीलबंद लिफाफे में न्यायालय को सौंपे गए जवाब पर 20 नवंबर को विचार करना था किंतु उनके खिलाफ सीवीसी के निष्कर्ष कथित रूप से मीडिया में लीक होने और जांच एजेंसी के उपमहानिरीक्षक मनीष कुमार सिन्हा द्वारा एक अलग अर्जी में लगाए गए आरोप मीडिया में प्रकाशित होने पर न्यायालय ने कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए सुनवाई स्थगित कर दी थी|

जनहित याचिका पर भी पीठ कर सकती है सुनवाई 

इसके अलावा, जांच एजेंसी के अधिकारियों के खिलाफ शीर्ष अदालत की निगरानी में स्वतंत्र जांच के अनुरोध वाली जनहित याचिका पर भी पीठ सुनवाई कर सकती है. गैर सरकारी संगठन कामन काज ने यह याचिका दाखिल की है. न्यायालय ने 20 नवंबर को स्पष्ट किया था कि वह किसी भी पक्षकारको नहीं सुनेगी और यह उसके द्वारा उठाए गए मुद्दों तक ही सीमित रहेगी|सीवीसी के निष्कर्षों पर आलोक वर्मा का गोपनीय जवाब कथित रूप से लीक होने पर नाराज न्यायालय ने कहा था कि वह जांच एजेंसी की गरिमा बनाए रखने के लिये एजेंसी के निदेशक के जवाब को गोपनीय रखना चाहता था| उपमहानिरीक्षक सिन्हा ने 19 नवंबर को अपने आवेदन में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, केन्द्रीय मंत्री हरिभाई पी चौधरी, सीवीसी के वी चौधरी पर भी सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ जांच में हस्तक्षेप करने के प्रयास करने के आरोप लगाए थे|

आदेश की अवधि 7  दिसंबर तक बढ़ा दी

उधर,  दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और संयुक्त निदेशक एके शर्मा को एजेंसी के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी से संबंधित मामले की फाइल का केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) कार्यालय में निरीक्षण करने की अनुमति दे दी है|

5 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी थी|

अस्थाना पर आरोप है कि उन्होंने मोईन क़ुरैशी मामले में हैदराबाद के एक व्यापारी से दो बिचौलियों के माध्यम से 5 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगी थी|

दोनों अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया था|

राकेश अस्थाना ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा पर ही इस मामले में आरोपी को बचाने के लिए दो करोड़ रुपये की घूस लेने का आरोप लगाया था. दोनों अफसरों के बीच मचा घमासान सार्वजनिक हो गया तो केंद्र सरकार ने दोनों अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया था. साथ ही अस्थाना के ख‍िलाफ जांच कर रहे 13 सीबीआई अफसरों का भी तबादला कर दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने 26 अक्टूबर को केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) से कहा था कि सुप्रीम कोर्ट जज की निगरानी में वह निदेशक आलोक वर्मा के ख‍िलाफ लगाए गए आरोपों की जांच 2 हफ्ते में पूरी करे|

 

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