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जब मोदी ने दिया गोंडी भाषा में अपना भाषण

गोंडी भाषा भारत के मध्य प्रदेश के मुख्यतः मण्डला , सिवनी शहडोल, उमरिया, अनूपपुर, बालाघाट, छिंदवाड़ा, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, गुजरात आदि में बोली जाने वाली भाषा है। यह दक्षिण-केन्द्रीय द्रविण भाषा है। इसके बोलने वालों की संख्या लगभग एक करोड़ है जो मुख्यतः गोंड हैं। लगभग आधे गोंडी लोग अभी भी यह भाषा बोलते हैं। गोंडी भाषा में समृद्ध लोकसाहित्य, जैसे विवाह-गीत एवं कहावतें है , गोंडी भाषा को आंठवी अनुसूची में शामिल कर संविधानिक दर्जा दिलवाने के प्रयास मण्डला से सांसद फग्गनसिंह कुलस्ते ने भारत की संसद में प्राइवेट बिल के रूप में प्रस्तुत कर किया , , मामला संसद में विचाराधीन है , पिछले वर्षे 24 अप्रेल 2018 में मण्डला के रामनगर में नरेंद्र मोदी जी ने आदि उत्सव में क्षेत्र वासियों को गोंडी भाषा मे संबोधित किया गया , उन्होंने अपने भाषण का अंत जय बड़ादेव के साथ किया , ये पहली मर्तबा देखा गया कि भारत के कोई प्रधानमंत्री गोंडी भाषा मे संबोधित कर रहे थे , उनके जय बड़ा देव बोलते ही सारा जन समूह बड़ा देव के जय कारे से गूंज उठा ,
इसके पूर्व मण्डला से स्थानीय सांसद फग्गनसिंह कुलस्ते ने गोंडी भाषा के प्रति संजीदगी दिखाते हुए इसके महत्व को बार बार प्रधानमंत्री के सामने रखा जिससे प्रभावित होकर नरेंद्र मोदी स्वयं इस भाषा को बोलने से अपने आप को रोक नही पाए , न सिर्फ गोंडी भाषा बल्कि गोंडी संस्कृति और गोंडी विरासत के संरक्षण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता प्रदर्शित की थी , रामगढ़ स्थित महल के संरक्षण के लिए शासन ने महत्वपूर्ण कदम उठाए है ,गोंडी संस्कृति के विकास और संरक्षण के लिए प्रारम्भिक प्रयासों में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में जनजातीय कल्याण राज्य मंत्री रहे फग्गन सिंह कुलस्ते का अहम योगदान देखने मिला है उन्होंने रानी दुर्गावती के समाधि स्थल के संरक्षण हेतु 10 एकड़ भूमि तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से स्वीकृत कराई , न सिर्फ क्षेत्र के बल्कि सम्पूर्ण देश मे आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम के नायकों की जन्मस्थली और समाधि को संरक्षित करने का प्रयास किया गया है , शंकर शाह रघुनाथ शाह की शहीदी दिवस को सारा मण्डला क्षेत्र उनकी याद में कार्यक्रम करता है ,
गोंड मध्य प्रदेश की सबसे महत्त्वपूर्ण जनजाति है, जो प्राचीन काल के गोंड राजाओं को अपना वंशज मानती है। यह एक स्वतंत्र जनजाति थी, जिसका अपना राज्य था और जिसके 52 गढ़ थे। मध्य भारत में 14वीं से 18वीं शताब्दी तक इसका राज्य रहा था। मुग़ल शासकों इन पर आक्रमण कर इनके क्षेत्र पर अधिकार कर लिया और इन्हें घने जंगलों तथा पहाड़ी क्षेत्रों में शरण लेने को बाध्य किया। आबादी गोंडों की लगभग 60 प्रतिशत आबादी मध्य प्रदेश में निवास करती है। शेष आबादी का अधिकांश भाग , आन्ध्र प्रदेश एवं उड़ीसा में बसा हुआ है। गोंड जनजाति के वर्तमान निवास स्थान मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ राज्यों के पठारी भाग, जिसमें छिंदवाड़ा, बेतूल, सिवनी और मण्डला के ज़िले सम्मिलित हैं। छत्तीसगढ़ राज्य के दक्षिणी दुर्गम क्षेत्र, जिसमें बस्तर ज़िला सम्मिलित है, आते हैं। इसके अतिरिक्त इनकी बिखरी हुई बस्तियाँ छत्तीसगढ़ राज्य, गोदावरी एवं बैनगंगा नदियों तथा पूर्वी घाट के बीच के पर्वतीय क्षेत्रों में एवं बालाघाट, बिलासपुर, दुर्ग, रायगढ़, रायसेन और खरगोन ज़िलों में भी हैं। उड़ीसा के दक्षिण-पश्चिमी भाग तथा आन्ध्र प्रदेश के पठारी भागों में भी यह जनजाति रहती है।

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