लोकसभा चुनाव 2019 की औपचारिक घोषणा हो चुकी है. उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में महज 8 सीटों पर पहले चरण में वोट डाले जाएंगे. ये आठों सीटें पश्चिमी उत्तर प्रदेश की हैं. ऐसे में पहले ही चरण से सूबे के सियासी तापमान और सपा-बसपा-आरएलडी गठबंधन के राजनीतिक भविष्य का अंदाजा भी हो जाएगा. इतना ही नहीं इस सवाल का भी जवाब मिल जाएगा कि क्या मुजफ्फरनगर दंगे की आंच में झुलसा जाट और मुस्लिम साथ आकर बीजेपी का समीकरण बिगाड़ेगा या फिर मोदी लहर पर सवार ही करेगा?
चुनाव आयोग के ऐलान के मुताबिक पहले चरण के चुनाव की अधिसूचना 18 मार्च को जारी होगी. जबकि मतदान 11 अप्रैल को होगा. इस चरण में कुल 8 लोकसभा सीटों पर वोटिंग होगी. इनमें सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मेरठ, बागपत, गाज़ियाबाद और गौतमबुद्ध नगर की सीटें शामिल हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में इन आठों सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी. हालांकि, बाद 2018 में कैराना लोकसभा सीट पर हुई चुनाव में बसपा और सपा के समर्थन से आरएलडी ने बीजेपी से ये सीट छीन ली थी.
बसपा और बीजेपी में सीधी टक्कर
बिजनौर लोकसभा सीट बसपा के खाते में गई है. मुस्लिम और गुर्जर बहुल जीत फिलहाल बीजेपी का कब्जा है और यहां से कुंवर भारतेंद्र सिंह सांसद हैं. इस बार तीनों प्रमुख पार्टियों ने अभी अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान नहीं किया है. बसपा से मलूक नागर और मोहम्मद इकबाल में से किसी एक पर पार्टी दांव लगा सकती है. जबकि बीजेपी भारतेंद्र सिंह को एक बार फिर उतार सकती है. इस सीट पर करीब 35 फीसदी मुस्लिम और तीन लाख दलित और दो लाख जाट मतदाता हैं. ऐसे में गठबंधन अगर तीनों जातीय समीकरण को साधने में कामयाब रहते है तो बीजेपी के लिए वापसी कर पाना काफी मुश्किल होगा.