रक्षा बंधन का पर्व 11 अगस्त 2022 दिन गुरुवार को है।
इस वर्ष “श्रावण-पूर्णिम” 11 अगस्त 2022 को प्रात: 10:39 से 12 अगस्त प्रात: 7:06 तक रहेगी। जिसमें का भद्रा का कोई भी नकारात्मक प्रभाव नहीं रहेगा। क्योंकि मकर-राशि की भद्रादि का प्रभाव पाताल-लोक में रहेगा।_ स्वर्गे भद्रा शुभं कुर्यात् पाताले च धनागम:।
मर्त्यलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।
मुहूर्त गणना के अनुसार 11 अगस्त पर सुबह 11 बजकर 37 मिनट से 12 बजकर 29 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा। शास्त्रों में अभिजीत मुहूर्त को दिन के सभी मुहूर्तों में सबसे अच्छा और शुभ मुहूर्त माना गया है। इस अभिजीत मुहूर्त में कोई भी शुभ कार्य या पूजा की जा सकती है। इसके अलावा 11 अगस्त,गुरुवार को दोपहर 02 बजकर 14 मिनट से 03 बजकर 07 मिनट पर विजय मुहूर्त रहेगा। इस तरह से भद्राकाल के रहते इस समय राखी बांधी जा सकती है ।
जब भी कोई कार्य शुभ समय में किया जाता है, तो उस कार्य की शुभता में वृ्द्धि होती है. भाई- बहन के रिश्ते को अटूट बनाने के लिये इस राखी बांधने का कार्य शुभ मुहूर्त समय में करना चाहिए।
रक्षाबंधन कब और कैसे शुरू हुई
जब दानबेन्द्र राजा बलि अश्वमेध यज्ञ करा रहें थे
तब नारायण ने राजा बलि को छलने के लिये वामन अवतार लिया और तीन पग में सब कुछ ले लिया
तब उसे भगवान ने पाताल लोक का राज्य रहने के लिये दें दिया
तथा बलि पर प्रसन्न हो कर बोलो की जो वरदान चाहते हो मांग लो
तब राजा बलि ने वामन पूरी भगवन से कहा की आप मेरे पहरेदार बन जाए ताकि मुझे कभी किसी से कोई भय ना रहे तब भगवान् बलि के पहरेदार बन गए ।जब कई दिनों तक भगवन बैकुंठ धाम नहीं पहुचे तो
उधर बैकुंठ में लक्ष्मी जी को चिंता होने लगी
उधर नारद जी का आना हुआ
लक्ष्मी जी ने कहा नारद जी आप तो तीनों लोकों में घूमते हैं क्या नारायण को कहीँ देखा आपने
तब नारद जी बोले की पाताल लोक में हैं राजा बलि के पहरेदार बने हुये हैं
तब लक्ष्मी जी ने कहा मुझे आप ही राह दिखाये की कैसे उन्हें वापस लाया जाए
तब नारद ने कहा राजा बलि की कोई बहिन नहीं है आप राजा बलि को श्रावण पूर्णिमा के दिन भाई बना लो और रक्षा का वचन लो और पहले तिर्बाचा करा लेना दक्षिणा में जो मांगुगी वो देंगे
और दक्षिणा में अपने नारायण को माँग लेना
लक्ष्मी जी सुन्दर स्त्री के भेष में रोते हुये पहुँची
बलि ने कहा क्यों रो रहीं हैं आप
तब लक्ष्मी जी बोली की मेरा कोई भाई नहीँ हैं इसलिए मैं दुखी हूँ
तब बलि बोले की मेरी भी कोई बहिन नहीं है तुम मेरी धरम की बहिन बन जाओ
रक्षाबन्धन के बाद राजा बलि ने अपनी बहिन से कहा तुम्हे जो चाहिए हो मांग लो
तब माता लष्मी बोली मुझे आपका ये पहरेदार चाहिये।और महा दानि राजा बलि ने अपना सेवक अपनी बहिन को दे दिया।
तब से ये रक्षाबन्धन शुरू हुआ था
और इसी लिये जब कलावा बाँधते समय मंत्र बोला जाता हैं
येन बद्धो राजा बलि दानबेन्द्रो महाबला तेन त्वाम प्रपद्यये रक्षे माचल माचल:
ये मंत्र हैं
रक्षा बन्धन अर्थात बह बन्धन जो हमें सुरक्षा प्रदान करे
सुरक्षा किस से
हमारे आंतरिक और बाहरी शत्रुओं से रोग ऋण से।
राखी का मान करे।
अपनी भाई बहन के प्रति प्रेम और सम्मान की भावना रखे।
Pandit Praveen Tiwari