पूर्वजों की आत्मा की शांति एवं पारिवारिक विवादों से मुक्ति के लिए महाकुंभ शाही स्नान विशेष पितृ दोष शांति पूजा एवं त्रिवेणी संगम गंगा आरती
महाकुंभ शाही स्नान के दिन पितृ पूजा कराना कितना है प्रभावशाली ?
सनातन धर्म में महाकुंभ पर्व का विशेष महत्व है, जो हर 12 वर्षों के अंतराल पर आयोजित होता है। वहीं, हिंदू धर्म में प्रयागराज को तीर्थराज (सभी तीर्थ स्थलों का राजा) कहा जाता है, क्योंकि यहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का संगम है, जो आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक है। जब बृहस्पति वृषभ राशि में और सूर्य मकर राशि में होता है, तो प्रयागराज में महाकुंभ मेला आयोजित किया जाता है। 2025 में यह संरेखण हो रहा है इसलिए इस बार प्रयागराज में महाकुंभ मेला आयोजित होगा। शाही स्नान कुंभ मेले का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जिसमें लाखों श्रद्धालु आते हैं। विभिन्न अखाड़ों के संत और साधु इस पवित्र स्नान के लिए संगम घाटों की ओर जाने वाले भव्य जुलूसों में भाग लेते हैं। पहला शाही स्नान कुंभ मेले की आधिकारिक शुरुआत का प्रतीक है जोकि हमेशा एक प्रमुख आकर्षण का केन्द्र होता है।
हिंदू धर्म में इस दिन को बहुत शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस पावन दिन पर पितृ दोष शांति महापूजा करने से दिवंगत आत्माओं को शांति मिलती है। हिंदु धर्म ग्रंथों के अनुसार ‘पितृ दोष’ पूर्वजों की अधूरी इच्छाओं और नकारात्मक कर्मों के कारण होता है। इस दोष से पीड़ित जातक को आर्थिक परेशानियां, रिश्तों में तनाव एवं विवाद और स्वास्थ्य संबधी समस्याओं का सामना करना पडता है। वहीं, कहते हैं कि यदि यह पूजा तीर्थ स्थल पर की जाए तो इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। ऐसे में तीर्थ स्थलों का राजा कहे जाने वाले शहर प्रयागराज में त्रिवेणी संगम का विशेष महत्व है। पदम पुराण के अनुसार, जो भी व्यक्ति त्रिवेणी संगम पर पितरों के लिए पूजा करता है, उसके पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए महाकुंभ के प्रभम शाही स्नान पर त्रिवेणी संगम में पितृ दोष शांति महापूजा के साथ त्रिवेणी संगम गंगा आरती का आयोजन किया जा रहा है।
पूजा लाभ
पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए
पितृ दोष के कारण लोगों के जीवन में परेशानियां समाप्त होने का नाम ही नहीं लेती हैं। व्यक्ति चाहे जितना भी प्रयास कर ले, कोई भी काम में सफल नहीं होता है। शास्त्रों में पितृ दोष निवारण के लिए पितृ दोष शांति महापूजा का विधान है। मान्यता है कि महाकुंभ प्रथम शाही स्नान के पावन अवसर पर त्रिवेणी संगम में होने वाली इस विशेष पूजा के साथ त्रिवेणी संगम गंगा आरती में शामिल होने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पारिवारिक विवादों से मुक्ति के लिए
कई बार कुछ घरों में पारिवारिक क्लेश कि कोई ठोस वजह तो नहीं होती, लेकिन हमेशा ही तनाव का माहौल बना रहता है। घर में क्लेश होने का एक कारण पितृ दोष भी माना गया है, ऐसे में महाकुंभ प्रथम शाही स्नान पर त्रिवेणी संगम में होने वाली पर पितृ दोष शांति पूजा एवं त्रिवेणी संगम गंगा आरती में भाग लेने से पारिवारिक क्लेश से मुक्ति पा सकते हैं।
स्वस्थ जीवन की प्राप्ति
मान्यता है कि पितृ दोष के कारण परिवार में बीमारियाँ भी हो सकती हैं। वहीं इस दोष के कारण व्यक्ति को बार-बार स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं, पुरानी बीमारियों के लिए उचित उपचार खोजने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसलिए महाकुंभ प्रथम शाही स्नान पर त्रिवेणी संगम में होने वाली ये पूजा स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में मददगार होती है और इससे स्वस्थ एवं खुशहाल जीवन का आशीष प्राप्त होता है।
पूजा
अधिकतम 2 व्यक्ति के लिए पूजा कराएं
- पंडित जी पूजा संकल्प के दौरान अन्य पूजा प्रतिभागियों के नाम के साथ आपके नाम एवं गोत्र का उच्चारण करेंगे।
- अपनी पूजा के साथ वस्त्र दान, अन्नदान, गौ सेवा और दीप दान जैसे अतिरिक्त विकल्पों का चुनाव कर सकते हैं, जो आपके नाम से किया जाएगा।
- आपकी पूजा संपन्न होने पर पूजा का वीडियो 3-4 दिनों के अंदर आपके पंजीकृत व्हाट्सएप नंबर पर भेजा जाएगा ।
- पितृ पूजा के आशीष के रूप में गंगाजल 8-10 दिनों के भीतर आपके पते पर भेज दिया जाएगा।