क्या होता है बायो बबल ? IPL में खिलाड़ी कैसे रहते हैं इसमें सुरक्षित

इंडियन प्रीमियर लीग ( IPL) के 14वें सीजन का पहला चरण खत्म होने की ओर है. इस लीग का आयोजन ऐसे वक्त में हो रहा है जब देश कोरोना की दूसरी लहर से जंग लड़ रहा है. आईपीएल के शुरू होने से पहले कुछ खिलाड़ी कोरोना से संक्रमित हुए थे. हालांकि अब वे ठीक हो चुके हैं. और अपनी-अपनी फ्रेंचाइजी की ओर से खेल भी रहे हैं.

कोरोना काल में आईपीएल के आयोजन पर सवाल भी उठ रहे हैं. इस मुद्दे को ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ियों ने और भी हवा दे दी है. ऑस्ट्रेलिया के तीन खिलाड़ी आईपीएल-14 से हट चुके हैं. इसमें एडम जाम्पा, केन रिचर्डसन और एंड्रयू टाई हैं. जाम्पा ने आईपीएल-14 छोड़ने की वजह बायो बबल को बताया. उन्होंने कहा कि भारत में बायो-बबल छोड़ने के बाद उतना सुरक्षित महसूस नहीं होता, जितना यूएई में आईपीएल 2020 के दौरान लगता था. अब ऐसे में हमें ये जानना जरूरी है कि आखिर बायो बबल क्या होता है और खिलाड़ी इसमें कैसे सुरक्षित रहते हैं. 

बायो बबल नया शब्द नहीं है. आईपीएल के पिछले सीजन में भी ये चर्चा में था. बायो बबल को इको बबल भी कहते हैं. ये एक तरह का सुरक्षित वातावरण होता है. मैच से जुड़े सभी खिलाड़ी और सपोर्ट स्टाफ इस सुरक्षित वातावरण में रहते हैं. ये एक ऐसा वातावरण हो जाता है जहां आप बाहरी दुनिया से कट जाते हैं. ये कुछ तरह से क्वारनटीन जैसा ही होता है, लेकिन इसमें सख्ती ज्यादा होती है. 

इस सुरक्षित वातावरण में जो भी जाता है वो बाहर की दुनिया से पूरी तरह से कट जाता है. खिलाड़ियों का कोरोना टेस्ट करने वाली टीम को भी इसका पालन करना होता है. वो भी बायो बबल से बाहर नहीं जा सकते. इसके घेरे में वो सभी लोग आते हैं जो पहले कोरोना टेस्ट से गुजर चुके होते हैं. यानी जो पूरी तरह से संक्रमण से दूर हों. जिनकी कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट निगेटिव हो वही बायो बबल में जा सकते हैं. 

आईपीएल के शुरू होने से पहले सभी खिलाड़ियों और सपोर्ट स्टाफ को 7 दिन तक क्वारनटीन में रहना पड़ा था. क्वारनटीन पूरा होने के बाद खिलाड़ियों को बायो बबल में शामिल किया गया. यानी वे पूरी तरह से सुरक्षित हैं. ये बबल मैदान से लेकर होटल तक बनाया जाता है. खिलाड़ी इसके बीच में रहते हैं. इस बबल के अंदर जितने लोग होते हैं सिर्फ वही आपस में मिल सकते हैं, क्योंकि वे सभी कोरोना से दूर हैं. सभी की रिपोर्ट निगेटिव है. 

टूर्नामेंट के खत्म होने तक वे इस बबल से बाहर नहीं हो सकते. विशेष परिस्थिति में बाहर जाने वाले को और बबल में लौटने से पहले क्वारनटीन होना पड़ता है. कोरोना की रिपोर्ट निगेटिव होने के बाद ही वे दोबारा बायो बबल से जुड़ते हैं. बीसीसीआई के मुताबिक, अगर कोई भी बायो बबल तोड़ता है तो वो कोड ऑफ कंडक्ट का दोषी माना जाएगा. उसपर कुछ मैचों का प्रतिबंध भी लग सकता है. 

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