कृत्रिम बुद्धिमत्ता या Artificial Intelligence क्या है और कैसे काम करता है?

Artificial Intelligence

आपने भी शायद ये लक्ष्य किया होगा की आजकल जिसे देखो Artificial Intelligence की बस तारीफ किये जा रहा है. यदि आपको इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है तब आपको चिंतित होने की जरुरत नहीं है क्यूंकि आज हम आप लोगों को Artificial Intelligence क्या है और ये इतना जरुरी क्यूँ है के बारे में पूरी जानकरी देने जा रहे हैं. जिससे की आपके मन में उठ रहे सारे सवालों के जवाब इस article के समाप्त होने तक आपको मिल जायेंगे.

एक नया domain अब सामने आया है जिसे लोग Artificial Intelligence के नाम से जानते हैं जो की मूल रूप से Computer Science का ही branch है और जिसका मुख्य काम ये है की ऐसे intelligent machine बनाएं जो की मनुष्य के जैसे ही बुद्धिमान हो और जिसकी अपनी ही decision लेने की क्ष्य्मता हो. इससे ये हमारे काम और भी आसान कर देंगे.

आर्टिफिशल इंटेलिजेंस क्या है (What is Artificial Intelligence in Hindi)

AI का full form है Artificial Intelligence या हिंदी में इसका अर्थ है कृत्रिम होशियारी या कृत्रिम दिमाग. ये एक ऐसा simulation है जिससे की मशीनों को इंसानी intelligence दिया जाता है या यूँ कहे तो उनके दिमाग को इतना उन्नत किया जाता है की वो इंसानों के तरह सोच सके और काम कर सके. ये खासकर computer system में ही किया जाता है. इस प्रक्रिया में मुख्यत तीन processes शामिल है और वो हैं पहला learning (जिसमें मशीनों के दिमाग में information डाला जाता है और उन्हें कुछ rules भी सिखाये जाते हैं जिससे की वो उन rules का पालन करके किसी दिए हुए कार्य को पूरा करे), दूसरा है Resoning (इसके अंतर्गत मशीनों को ये instruct किया जाता है की वो उन बनाये गए rules का पालन करके results के तरफ अग्रसर हो जिससे की उन्हें approximate या definite conclusion हासिल हो) और तीसरा है Self-Correction.

अगर हम AI की particular application की बात करें तो इसमें expert system, speech recognition और machine vision शामिल हैं. AI या Artificial Intelligence को कुछ इस प्रकार से बनाया गया है की वो इंसानों के तरह ही सोच सके, कैसे इंसानी दिमाग किसी भी problem को पहले सीखती है, फिर उसे process करती है, decide करती है की क्या करना उचित होगा और finally उसे कैसे solve करते उसके बारे में सोचती है. उसी प्रकार की artificial intelligence में भी मशीनों को भी इंसानी दिमाग की सारी विसेश्तायें दी गयी हैं जिससे वो बेहतर काम कर सके.

Artificial Intelligence के बारे में सबसे पहले John McCarthy ने ही दुनिया को बताया. वो एक American Computer Scientist थे, जिन्होंने सबसे पहले इस technology के बारे में सन 1956 में the Dartmouth Conference में बताया. आज ये एक पेड़ की तरह बहुत ही बड़ा हो गया है और सारी robotics process automation से actual robotics तक सभी चीज़ें इसके अंतर्गत आती हैं. विगत कुछ वर्षों में इसने बहुत publicity gain कर ली है क्यूंकि इसमें big data की technology भी शामिल हो चुकी है और इसकी दिनबदिन बढती हुई speed, size और variety of data business से बहुत से companies इस technology को अपनाना चाहते हैं. अगर में AI की बात करूँ तो इसकी मदद से raw data में pattern को identify करना काफी आसान हो गया है वहीँ इंसानों द्वारा बहुत गलतियाँ होती हैं, इससे companies को कम समय में अपने data के ऊपर ज्यादा insight प्राप्त होती है.

Artificial Intelligence की Philosophy

जब इन्सान Computer System की असली ताकत की खोज कर रहा था, तब मनुष्य की अधिक जानने की इच्छा ने उसे ये सोचने में बाध्य किया की “क्या Machine भी हमारी तरह सोच सकते हैं ?” और इसी तरह ही Artificial Intelligence की development को शुरुवात हुई जिसका की केवल एक ही उद्देश्य था की एक ऐसी intelligent machine की संरचना की जाये जो की इंसानों की तरह ही बुद्दिमान हो और हमारे ही तरह ही सोच सके.

AI के लक्ष्य

•  Expert Systems बनाना − कुछ ऐसे systems को बनाना जो की intelligent behavior प्रदर्शन कर सके, जो की learn कर सके, demonstrate, explain, और इसके साथ अपने users को advice कर सके.
•  Human Intelligence को Machines में implement करना – ऐसे systems बनाना जो की इंसानों की तरह ही समझ, सोच, सिख, और behave कर सकें.

Artificial Technique क्या है?

अगर हम real world की बात करें तब, ज्ञान की कुछ अजीबोगरीब विसेश्ताएं हैं जैसे की
•  इसकी volume बहुत ही ज्यादा है, या यूँ कहे तो अकल्पनीय है.
•  ये पूरी तरह से well-organized or well-formatted नहीं है.
•  इसके साथ साथ ये निरंतर बदलता रहता है

AI के लक्ष्य

•  Expert Systems बनाना − कुछ ऐसे systems को बनाना जो की intelligent behavior प्रदर्शन कर सके, जो की learn कर सके, demonstrate, explain, और इसके साथ अपने users को advice कर सके.
•  Human Intelligence को Machines में implement करना – ऐसे systems बनाना जो की इंसानों की तरह ही समझ, सोच, सिख, और behave कर सकें.

Artificial Technique क्या है?

अगर हम real world की बात करें तब, ज्ञान की कुछ अजीबोगरीब विसेश्ताएं हैं जैसे की
•  इसकी volume बहुत ही ज्यादा है, या यूँ कहे तो अकल्पनीय है.
•  ये पूरी तरह से well-organized or well-formatted नहीं है.
•  इसके साथ साथ ये निरंतर बदलता रहता है

Artificial Technique एक ऐसा technique हैं जिससे की हम ज्ञान या knowledge को ऐसे organized way में रखेंगे की जैसे हम इसका इस्तमाल बहुत ही efficiently कर सकते हैं जैस की −
•  ये पढने और समझने योग्य होना चाहिए जो लोग इसे provide करते हैं.
•  ये आसानी से modify करने योग्य होना चाहिए जिससे की इसकी errors को आसानी से सुधारा जा सके.
•  ये बहुत से जगहों में useful होना चाहिए हालाँकि ये incomplete और inaccurate हो.

AI techniques को अगर कोई comlpex programs के साथ equip किया जाये तो उसकी speed of execution को बहुत हद तक बढाया जा सकता है.

Artificial intelligence के types या प्रकार

Artificial Intelligence को बहुत से प्रकारों में divide किया जा सकता है, लेकिन उनमें से जो सबसे मुख्य हैं वो हैं 1) Weak AI

2) Strong AI

Weak AI: –

इस प्रकार के AI को narrow AI भी कहा जाता है, इन AI system को कुछ इस प्रकार से design किया गया है की ये केवल एक particular task ही करें. उदहारण के तोर पर इसमें Virtual Personal Assistants such as Apple’s Siri weak AI का बहुत बढ़िया उदहारण है.

Strong AI :-

इस प्रकार के artificial intelligence को general artificial intelligence भी कहा जाता है. इस प्रकार के AI System में generalized मनुष्य की बुद्धिमता होती है जिससे की ये समय आने पर अगर इसे कोई difficult सा task दिया जाये तो ये आसानी से उसका solution निकाल सकता है. Turing Test को mathematician Alan Turing द्वारा सन 1950 में develop किया गया था जिसका इस्तमाल ये जानने के लिए किया गया था की क्या Computers भी इंसानों के तरह सोच सकते हैं की नहीं.

Arend Hintze, जो की एक assistant professor भी हैं of integrative biology and computer science and engineering, Michigan State University में. उन्होंने ही AI को चार हिस्सों में Categorize किया है जो की कुछ इसप्रकार हैं.

• Type 1: Reactive machines.
इसका एक उदहारण है Deep Blue, जो की एक IBM chess program है और जिसने Garry Kasparov को सन 1990s में हराया था. Deep Blue को कुछ इसप्रकार से design किया गया है की ये chess board के pieces को identify कर सकता है और उसके हिसाब से prediction कर सकता है. लेकिन इसकी अपनी कुछ memory नहीं है जिससे ये अपने past move के बारे में याद नहीं रख सकता जो की ये future में इस्तमाल कर सके. ये possible moves को analyze करता है – इसके खुद की और इसके opponent की – और फिर ये उस हिसाब से सबसे बेहतर strategic move को चुनता है. Deep Blue और Google’s AlphaGO को narror purposes के लिए design किया गया है और इसे आसानी से दुसरे situations में apply नहीं किया जा सकता.

• Type 2: Limited memory.
इस प्रकार के AI systems अपने past experiences को इस्तमाल कर अपने future decisions को तय करते हैं. कुछ decision-making functions को जो की autonomous vehicles में इस्तमाल किये जाते हैं उन्हें इसी प्रकार से design किया गया है. ऐसे ही Observations को इस्तमाल कर भविष्य में होने वाले हादसों को कुछ हद तक रोका जा सकता है, जैसे की car को दुसरे lane में change करना. ये Observations permanently store नहीं होते.

• Type 3: Theory of mind.
ये एक psychology term है. ये एक hypothetical concept है. इसमें ये दर्शाता है की दूसरों का अपना beliefs, desires and intentions होता है जो की उनके decisions में impact डालते हैं. इस प्रकार के AI अभी इस दुनिया में मेह्जुद नहीं हैं.

• Type 4: Self-awareness.
इस category के अंतर्गत AI systems की खुद की self awareness होती है, अपनी एक consciousness होती हैं. Machines जिनकी self-awareness होती हैं वो अपने current state को समझते हैं और उसी information को इस्तमाल कर ये समझते हैं की दुसरे क्या feel करते हैं. इस प्रकार के AI अभी इस दुनिया में मेह्जुद नहीं हैं.

Artificial Intelligence और हमारा भविष्य

दिनबदिन Artificial Intelligence का इस्तमाल बढ़ते ही जा रहा है. हम मनुष्य धीरे धीरे ऐसे मशीनों के ज्यादा आदि बनते जा रहे हैं. हम हमारी जरूरतों को पूरा करने की कोशिश में Artificial Intelligence को और भी ज्यादा शक्तिशाली और ज्यादा advance कर रहे हैं ताकि ये हमारे कठिन से कठिन काम कर सके. ऐसा होने से हमारे जाने अनजाने में ये मशीन और भी ज्यादा ताकतवर बन जा रहे हैं. और इनमें सोचने की शक्ति भी धीरे धीरे बढ़ रही है जिससे ये किसी भी परिस्तिथि में खुद को ढाल सकते हैं और ये हमारे लिए अच्छी बात नहीं है.

वो दिन दूर नहीं जब ये हमारे आदेश का पालन भी न करें और अपने मन मुताबक ही काम करें. ऐसे में मनुष्य समाज को काफी नुकशान उठाना पड़ सकता है. ये हमारे सभी industries में अपना जड़ पहले से ही गाड़ चुके हैं और हम उनके बहुत आदि बन चुके हैं जिससे उनके बिना हमारा काम हमें करने में भी तकलीफ हो रही है. सुनने में भले ही ये बात थोडा अटपटा लगे लेकिन ये 100% सही है. मेरा मानना ये है की भले ही हम Artificial Intelligence का इस्तमाल अपने जीवन में अच्छाई के लिए करें लेकिन हमें ये बात ध्यान में रखना बहुत ही जरुरी है की कुछ चीज़ें जो की Control के ऊपर है उनकी चाबी हमें हमारे पास ही रखनी चाहिए. ताकि समय आने पर हम उसका सही इस्तमाल कर सकें.

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