बीजेपी विधायकों के बागी तेवर, योगी सरकार के खिलाफ उठा रहे हैं सवाल

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की कार्यप्रणाली पर योगी के सिपहसालार ही अब सवालिया निशान उठाने लगे हैं. कोई विधायक खुलेआम बयानबाजी कर रहा है तो कोई ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहा है. ऐसा नहीं है कि किसी एक विधायक ने अपनी सत्ताधारी सरकार की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान उठाया हो. ऐसे कई विधायक हैं जिन्होंने पिछले दिनों उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर सवाल खड़े किए.

लखीमपुर में हर्ष फायरिंग में हुई मौत के मामले में एक इंस्पेक्टर द्वारा सानू खान नाम के एक आरोपी को बचाने का मामला सुर्खियों में आया तो इस घटना को संज्ञान में लेते हुए योगी के गढ़ गोरखपुर के सदर विधायक डॉक्टर राधा मोहन दास अग्रवाल ने ट्वीट कर पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए.

उसके कुछ घंटे बाद उत्तर प्रदेश के डीजीपी का कॉल विधायक राधा मोहन दास के पास आया और उस कॉल के बाद दोबारा राधा मोहन दास अग्रवाल ने ट्वीट किया कि मामला डीजीपी के संज्ञान में है, देखना है कि कार्रवाई में क्या प्रगति होती है. (बता दें कि लखीमपुर से विधायक मोहन दास अग्रवाल का कोई वास्ता नहीं है और दोनों के बीच दूरी भी 300 किलोमीटर की है)

राकेश राठौर के अपनी ही सरकार से नाराज रहने की चर्चा आम है

सुल्तानपुर के बीजेपी विधायक देवमणि द्विवेदी एक नए मामले में चर्चा हैं- इन्होंने ब्राह्मण मामले पर अपनी ही पार्टी और योगी आदित्यनाथ सरकार को घेरने की कोशिश की है. उन्होंने पिछले तीन वर्षों में मारे गए ब्राह्मणों की संख्या को लेकर सवाल किया है. उन्होंने विधानसभा में प्रश्न के लिए आवेदन किया है जिसमें बीजेपी विधायक देवमणि द्विवेदी ने यह जानने की मांग की है कि पिछले तीन वर्षों में कितने ब्राह्मण मारे गए हैं और इस अवधि में कितने आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं.

विधायक ने आगे पूछा है कि क्या राज्य सरकार ने ब्राह्मणों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कोई योजना बनाई है या नहीं और क्या सरकार प्राथमिकता के आधार पर ब्राह्मणों को हथियार लाइसेंस प्रदान करेगी. उन्होंने सरकार से उन ब्राह्मणों की संख्या के बारे में भी पूछा है, जिन्होंने सशस्त्र लाइसेंस के लिए आवेदन किया है

यह संभवत: पहली बार हुआ है कि किसी विधायक ने ऐसा सवाल किया है जो पूरी तरह जातिवादी है. सुल्तानपुर की लम्भुआ सीट से पहली बार विधायक बने द्विवेदी हाल ही में तब खबरों में आए थे, जब वह बीजेपी विधायक राजकुमार सहयोगी के समर्थन में अलीगढ़ गए थे, जो कि पुलिस के साथ विवाद में शामिल थे.

सीतापुर शहर सीट से विधायक राकेश राठौर के अपनी ही सरकार से नाराज रहने की चर्चा आम है. पिछले कुछ समय में वायरल हुए उनके ऑडियो इस बात का प्रमाण हैं. जिनमें से एक को लेकर बीते अप्रैल माह में प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के निर्देश पर महासचिव विद्यासागर सोनकर द्वारा उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी किया जा चुका है.

‘अपराधियों के साथ विधायकों को भी यूपी छोड़नी पड़ेगी’

मालूम हो कि राकेश राठौर पिछड़ा वर्ग से आते हैं. उन्होंने कोरोना काल के दौरान अपने ही संगठन के एक कार्यकर्ता से पीएम मोदी के थाली बजाओ कार्यक्रम का काफी मजाक बनाया था जिस पर पार्टी ने उन्हें नोटिस दिया था. इसके अलावा सरकार में सुनवाई न होने, गलत नीतियों के कारण, दिल्ली व झारखंड में हार, ब्राह्मणों को बीजेपी से जोड़ते हुए अपशब्द के ऑडियो को लेकर विधायक चर्चा में रह चुके हैं.

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के गोपामऊ विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी के विधायक श्याम प्रकाश लगातार सोशल मीडिया पर अपनी ही सरकार की घेराबंदी करते नजर आ रहे हैं. सीधी बात और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बिना किसी का दबाब माने सोशल मीडिया पर अपनी ही सरकार को घेरने के आरोप में पार्टी द्वारा एक बार इन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी किया जा चुका है. लेकिन उसके बाद भी समय-समय पर बीजेपी विधायक अपनी ही सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं चूकते हैं.

इस बार उन्होंने अलीगढ़ प्रकरण का हवाला देते हुए सम्मान और स्वाभिमान को सुरक्षित रखने के थाने और अधिकारियों के पास न जाने की बात लिखी है. अलीगढ़ में बीजेपी विधायक के साथ मारपीट प्रकरण पर उन्होंने पांच दिन पहले 13 अगस्त को अपनी सरकार को घेरते हुए यूपी पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़ा करते हुए अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर लिखा ‘प्रोटोकॉल के अनुसार विधायक का दर्जा मुख्य सचिव के बराबर है. अपने सम्मान और स्वाभिमान की रक्षा करनी है तो इस समय विधायकों को थाना तथा अधिकारियों के पास नहीं जाना चाहिए.’

इसके अगले दिन 14 अगस्त को उन्होंने अलीगढ़ प्रकरण से संबंधित मामले पर वीडियो डालते हुए फिर अपनी सरकार की चुटकी लेते हुए लिखा, ‘रामचंद्र कह गए सिया से, ऐसा भी दिन आएगा. एक दारोगा एमएलए से तू, तेरे, तुझको कहकर के, हाथ पैर भी तोड़ेगा. माननीय मुख्यमंत्री जी विधायकों पर कुछ तो कृपा कीजिए. आप ही विधायकों के संरक्षण और नेता हैं. हम लोग जाएं तो जाएं कहां? इस दारोगा पर कार्रवाई पर्याप्त नहीं है.’

इसी पोस्ट पर एक कमेंट में उन्होंने लिखा, ‘डेढ़ साल ही बचा है आपकी नेक सलाह के लिए शुक्रिया अभी तक था. ठोक देंगे, अब आया तोड़ देंगे.’ कमेंट में उन्होंने लिखा, ‘लगता है ऐसे पुलिस वालों की वजह से अब अपराधियों के साथ विधायकों को भी यूपी छोड़नी पड़ेगी.’

इससे पहले 25 अप्रैल को विधायक श्याम प्रकाश ने हरदोई में कोरोना के लिए यूपी में सबसे पहले 25 लाख रुपए स्वास्थ्य विभाग को देकर अपने विधानसभा में सैनिटाइजर, मास्क और अन्य आवश्यक चीजों के वितरण के लिए दिए और उसके बाद उस राशि का कोई हिसाब न मिलने पर जिला प्रसाशन से अपनी विकास निधि के उपयोग में भ्रष्टाचार की आशंका जताकर हंगामा खड़ा किया था.

26 अप्रैल को उन्होंने सीतापुर विधायक के ऑडियो प्रकरण से आहत होकर राजनीति से संन्यास लेने की इच्छा जताई थी. बीजेपी संगठन के निशाने पर आने के बाद 28 अप्रैल को पार्टी संगठन की तरफ से उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था.

विधायक श्याम प्रकाश लगातार पोस्ट और कमेंट करते रहते हैं

हरदोई से बीजेपी सांसद जय प्रकाश रावत ने कोरोना वायरस में अपनी निधि से वेंटिलेटर खरीदने के लिए 25 लाख रुपए दिए थे. वेंटिलेटर की समस्या को लेकर हरदोई के सांसद समर्थक एक फेसबुक यूजर प्रियम मिश्रा ने अपनी फेसबुक पोस्ट पर सांसद और विधायक निधि से वेंटिलेटर खरीद का मामला उठाते हुए लिखा था कि जो पैसा सांसद और विधायकों ने अपनी निधि से दिया उससे अगर हरदोई जिला चिकित्सालय में एक वेंटिलेटर मशीन लग जाए तो लोगों को कोरोना के बाद राहत मिलेगी.

इसी पोस्ट पर गोपामऊ से भारतीय जनता पार्टी के विधायक श्याम प्रकाश ने कमेंट करते हुए लिखा, ‘सब कमीशनखोरी की भेंट चढ़ गया है.’ विधायक के कमेंट के बाद भारतीय जनता पार्टी के सांसद जयप्रकाश ने भी कमेंट करते हुए लिखा कि ‘मैंने अपनी निधि इस शर्त पर दी थी कि वेंटिलेटर खरीदा जाए लेकिन ऐसा हुआ नहीं, निधि कहां गई पता नहीं?’

उसके बाद फिर उन्होंने त्रिपरेश मिश्रा नामक एक यूजर को संबोधित करते हुए लिखा, ‘जब ऊपर से यह निर्देश होगा कि अधिकारी अपने विवेक से काम करें तो हमको कौन सुनेगा, हमने अपने तीस साल के कार्यकाल में ऐसी बेबसी कभी महसूस नहीं की.’ विधायक श्याम प्रकाश तो लगातार कोई न कोई पोस्ट और तो कमेंट करते रहते हैं. सांसद के पहली बार इस तरह का सोशल मीडिया पर किया गया कमेंट चर्चा का विषय बन गया.

संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने बातचीत ने बताया, ‘कोई विधायक नाराज नहीं है क्योंकि हमारा उद्देश्य केवल जन सेवा करना है. हमने लॉकडाउन के दौरान लोगों की आर्थिक सहायता की, करोड़ों लोगों को मुफ्त खाना दिया. प्रवासी मजदूरों की मदद की. अभी सत्र शुरू होगा और आप देखेंगे कि किस तरह से सभी विधायक एकजुट हैं. यह सिर्फ मीडिया द्वारा खबरें बनायी जाती हैं.’

Leave a Reply