mahatma gandhi death anniversary :नेहरू की वो 5 चिट्ठियां जो कर रही थीं बापू की हत्या की साजिश की ओर इशारा

30 जनवरी, 1948 को बापू की हत्या से ठीक पहले नेहरू ने पांच पत्र लिखे, जिनसे जाहिर होता है कि वे देश में हिंदू महासभा और आरएसएस की बढ़ती गतिविधियों से बेचैन थे. उन्हें बापू की हत्या का आभास हो गया था.

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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या से ठीक पहले जवाहर लाल नेहरू को अनहोनी का अंदेशा हो गया था. 30 जनवरी, 1948 को बापू की हत्या से ठीक पहले नेहरू ने पांच पत्र लिखे, जिनसे जाहिर होता है कि वे देश में हिंदू महासभा और आरएसएस की बढ़ती गतिविधियों से बेचैन थे. उन्हें आभास हो गया था कि देश में हालात कुछ ठीक नहीं हैं.

22 नवंबर, 1947 को देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने सभी मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा. इसमें उन्होंने कहा, ‘हमारे सामने बाहरी खतरा उतना बड़ा नहीं है, जितना कि भीतरी खतरा है. प्रतिक्रियावादी ताकतें और सांप्रदायिक संगठन आजाद भारत का ताना-बाना ध्वस्त करने की कोशिश कर रहे हैं. वे इस बात को नहीं समझते कि अगर तबाही शुरू हुई तो वे खुद भी नहीं बचेंगे. इसलिए हमें इन ताकतों से सख्ती से निबटना होगा.’

इसके ठीक दो हफ्ते बाद 7 दिसंबर, 1947 को नेहरू ने मुख्यमंत्रियों को लिखा, ‘मुझे इस तरह की सूचनाएं मिली हैं कि कुछ प्रांतों में आरएसएस ने बड़े प्रदर्शन किए हैं. अक्सर देखा गया है कि यह प्रदर्शन धारा 144 जैसे निषेधाज्ञा आदेश लागू होने के बावजूद किए गए. कुछ प्रांतीय सरकारों ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की और आदेशों की धज्जियां उड़ने दीं.’

नेहरू ने आगे लिखा- ‘हमारे पास इस बात के ढेरों सबूत हैं, जिससे यह पता चलता है कि आरएसएस अपने स्वभाव से निजी सेनाओं के जैसा संगठन है, जो नीति और संगठन के मामले में साफ तौर पर नाजियों का अनुसरण कर रहा है. हमारी यह बिल्कुल इच्छा नहीं है कि हम नागरिक आजादी में दखल दें, लेकिन बड़ी संख्या में लोगों को हथियारों की ट्रेनिंग देना और यह मंसूबा रखना कि उनका इस्तेमाल भी किया जाएगा, कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे बढ़ावा दिया जाए.’

पत्र में नेहरू ने कहा कि कुछ प्रांतीय सरकारों ने कछ ऐसी पत्र-पत्रिकाओं पर कार्रवाई की है जो समुदायों के बीच नफरत फैलाती हैं. इस मामले में पाकिस्तान के अखबारों को छोड़कर अगर किन्हीं अखबारों को सबसे ज्यादा दोष दिया जा सकता है तो वह आरएसएस के अखबार होंगे.

नेहरू ने अपने पत्र में नाजी आंदोलनों का जिक्र करते हुए कहा कि नाजी पार्टी ने जर्मनी को तबाह कर दिया और मुझे बिलकुल भी संदेह नहीं है कि अगर यह प्रवृत्तियां इसी तरह भारत में बढ़ती रही तो वह भी भारत को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाएंगी.

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