जम्मू कश्मीर में नए साल पर लोगों को मिल सकता है ‘तोहफा’, जल्द शुरू हो सकती है मोबाइल इंटरनेट सेवा

साल के अंतिम दिन कश्मीर के रहवासियों के लिए एक बड़ी और राहत भरी खबर सामने आ रही है. जम्मू कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा कि जल्द ही राज्य में मोबाइल इंटरनेट सेवा शुरू हो सकती है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि बहुत जल्द ही लोगों को अच्छी खबर सुनने को मिलेगी. राज्य के डीजीपी द्वारा दिए गए इस बयान ने राज्य के लोगों के नए साल के जश्न में चार चांद लगा दिए हैं. गौरतलब है कि जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के करीब पांच महीने से मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद थी.

इंडिया टुडे के स्टिंग ऑपरेशन पर बोले डीजीपी

इंडिया टुडे के स्टिंग ऑपरेशन पर बात करते हुए डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा कि हमने इस पर ध्यान दिया है. आतंक का समर्थन करने वाले एनजीओ मालिकों को बख्शा नहीं जाएगा. हम इस मामले में कार्रवाई करेंगे.

राज्य की ताजा स्थिति पर भी की बात

दिलबाग सिंह ने आगे कहा कि 2019 काफी सफल साल रहा. इस साल कई सारे बदलावे आए. तीन बड़े चुनाव जो पेंडिंग थे, इस साल हुए. धारा 370 हटाए जाने के वक्त सुरक्षा इंतजाम बेहतर थे. पुलिस और जनता में कोर्डिनेशन काफी अच्छा रहा. 2018 में जम्मू-कश्मीर में 260 आतंकवादी मारे गए थे जबकि इस साल सिर्फ 160 आतंकी ही मारे गए. अब राज्य के युवाओं को बरगलाना आसान नहीं है. युवा अब शांति की राह पर आगे बढ़ रहे हैं.

कश्मीर के पांच नेताओं की हुई रिहाई

करीब पांच महीने बाद 5 और नेताओं को रिहा कर दिया गया है. रिहा किए गए नेताओं में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के दो पूर्व विधायक और नेशनल कॉन्फ्रेंस के दो पूर्व विधायक के अलावा एक निर्दलीय विधायक भी शामिल हैं. रिहा किए गए सभी पांचों नेताओं को राज्य से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से ही हिरासत में लिया गया था. इन पांच नेताओं में अब्दुल जब्बार, बशीर अहमद मीर, जहूर अहमद मीर, यासिर रेशी और गुलाम नबी शामिल हैं. इन्हें श्रीनगर के एमएलए हॉस्टल से रिहा किया गया है.

26 नेता अभी भी हिरासत में

पिछले महीने डल झील के पास स्थित सेंचूर होटल से मुख्यधारा के कुल 35 राजनेताओं को एमएलए हॉस्टल ले जाया गया था. हिरासत में लिए गए चार नेताओं को पहले रिहा कर दिया गया था. फिलहाल हिरासत में लिए गए नेताओं की संख्या 26 है. इनमें से कश्मीर के तीन सबसे प्रमुख नेता और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती शामिल हैं, जिन्हें अनुच्छेद-370 को निरस्त करने के बाद 5 अगस्त से ही हिरासत में ले लिया गया था.

फारूक और उमर भी हैं नजरबंद

फारूक अब्दुल्ला को गुपकर रोड स्थित उनके घर में नजरबंद किया गया है. वहीं उमर अब्दुल्ला को हरि निवास और महबूबा मुफ्ती को श्रीनगर में एमए रोड स्थित एक सरकारी आवास पर नजरबंद रखा गया है.

घटाई गई सुरक्षा

अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के बाद करीब 5 महीने बाद अब घाटी में स्थिति सुधर रही है. पिछले हफ्ते गृह मंत्रालय ने जम्मू और कश्मीर से सुरक्षा घटाने का फैसला लेते हुए अर्धसैनिक बलों की 72 टुकड़ियों को हटाने का फैसला लिया था.

कश्मीर से 5 अगस्त से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद हालात को नियंत्रण में रखने के लिए भारी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती की गई थी. कश्मीर में अब हालात तेजी से सामान्य हो रहे हैं. 72 टुकड़ियों में से सीआरपीएफ की 24 और बीएसफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ और सीएपीएफ की 12-12 टुकड़ियों को वापस बुला लिया गया. केंद्र सरकार का यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया.


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