चुटका में परमाणु बिजली घर बना तो नर्मदा और जबलपुर को भयंकर खतरा

चुटका में परमाणु बिजली घर बना तो नर्मदा और जबलपुर को भयंकर खतरा

यूएन के क्लाइमेट टेक्नोलॉजी एंड मैकेनिज्म एडवाइजरी बोर्ड के सदस्य सौम्य दत्ता ने कहा

अर्थ क्वेक की फाल्ट लाइन बिल्कुल करीब है परमाणु संयंत्र प्रस्तावित स्थल के, इतना ही नहीं प्लांट के स्थापित होने पर रेडियोधर्मी तत्व बरगी डैम से होकर नर्मदा में पहुंचेंगे

चुटका में परमाणु बिजली घर स्थापित होता है तो आसपास के क्षेत्रों समेत नर्मदा और जबलपुर के लिए भयंकर खतरा उत्पन्न हो जाएगा। संयंत्र से निकलने वाले रेडियोधर्मी विकिरण व अन्य तत्वों के संपर्क से लोगों को कैं सर जैसी घातक बीमारी का सामना करना पड़ेगा। इतना ही नहीं लगातार संपर्क में रहने वाली महिलाओं की प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है। डीएन प्रभावित होगा, विकलांग बच्चे जन्म लेंगे। ये बात यूएन क्लाइमेट टेक्नोलॉजी एंड मैकेनिज्म एडवाइजरी बोर्ड के सदस्य सौम्य दत्ता ने ‘पत्रिकाÓ को दिए इंटरव्यू में कहा। नर्मदा बचाओ आंदोलन से जुड़े दत्ता ने कहा की चुटका में परमाणु संयंत्र स्थापित होने पर रेडियोधर्मी तत्व बरगी बांध से बहकर जबलपुर होते हुए खंभात की खाड़ी तक प्रवाहित होंगे।

जबलपुर सबसे करीब होने के कारण सबसे ज्यादा नुकसान यहां के लोगों और पर्यावरण को पहुंचेगा। इतना ही सोन, नर्मदा, ताप्ती फाल्ट जोन(सोनाटा) चुटका के काफी पास है। एेसे में १९९७ में ६.५ रिएक्टर का भूकं प झेल चुके इस फाल्ट जोन में परमाणु संयंत्र के कारण बड़े और बार-बार भूकं प आने का खतरा बढ़ जाएगा।दत्ता ने कहा की जब चुटका समेत देश में दस स्थान पर परमाणु संयंत्र स्थापित करने की कार्ययोजना बनी उस दौरान देश में बिजली का संकट था। लेकिन आज सरकारी एजेंसियों की रिपोर्ट बता रही है की देश में आवश्यकता के मुकाबले सरप्लस बिजली है। एेसे में प्रोजेक्ट की प्रासंगिकता आज नहीं है।

इतना ही नहीं सार्वजनिक क्षेत्र के कई बिजली घरों को बंद रखा जा रहा है। एेसे में क्षेत्र के लोगों को विस्थापन से बचाने व पर्यावरण को सुरक्षित रखने भी चुटका परमाणु संयंत्र के प्रोजेक्ट पर रोक लगना चाहिए। इतना ही नहीं उन्होंने जोर देकर कहा की जहां भी आवश्यकता है सोलर एनर्जी प्लांट लगाए जाएं। इससे पर्यावरण को नुकसान नहीं होगा और सस्ती बिजली भी मिलेगी।

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