सर्दी में और भयावह होगा वायरस, फ्लू और कोविड-19 एक साथ होने से मौत का डबल खतरा

कोरोना वायरस और फ्लू (Corona virus and Flu) की चपेट में एक साथ आने से रोगी की जान को ज्यादा खतरा हो सकता है. ‘पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड’ (PHE) की रिपोर्ट के मुताबिक, को-इंफेक्शन से इंसान की मौत का खतरा डबल (Coronavirus death risk) हो जाता है. साथ ही, एक्सपर्ट ने सर्दियों में दोहरा झटका लगने की चेतावानी भी दी है.

रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों इंफेक्शन के साथ अस्पताल में दाखिल हुए मरीजों की जान को दोनों टेस्ट में नेगेटिव पाए जाने वाले व्यक्ति की तुलना में खतरा छह गुना ज्यादा होता है. अधिकारियों का कहना है कि ब्रिटेन में इस साल अब तक का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन प्रोग्राम चलाया जाएगा.

वैक्सीनेशन प्रोग्राम (Vaccination programme) के तहत तीन करोड़ लोगों को टारगेट पर रखा जाएगा, जो कि पिछले साल की तुलना में दोगुना होगा. 65 साल से ज्यादा उम्र के व्यक्ति और गर्भवती महिलाओं जैसे गंभीर वर्गों को प्राथमिकता दी जाएगी. यदि इस वर्ग के लिए वैक्सीन पर्याप्त रहती है तो बची हुई वैक्सीन 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को दी जाएगी.

सर्दी के मौसम में यदि लोग फ्लू से अपनी रक्षा नहीं कर पाते तो अस्पतालों में मरीजों की संख्या काफी बढ़ जाएगी. इस बात का निश्चित तौर पर ध्यान रखना होगा कि व्यक्ति को फ्लू है या कोविड-19 या दोनों. हालांकि, ब्रिटिश एक्सपर्ट इस बात को लेकर संतुष्ट हैं कि वे एक समय में दो तरह की बीमारियों का प्रकोप नहीं झेलेंगे.

PHE की रिपोर्ट कहती है कि 20 जनवरी से 25 अप्रैल के बीच देश में 20,000 ऐसे मामले दर्ज किए गए, जहां मरीज फ्लू और कोविड-19 दोनों से संक्रमित पाए गए. इनमें से ज्यादातर मरीजों की हालत काफी गंभीर थी. कोविड-19 और फ्लू की चपेट में आने के बाद 43 प्रतिशत लोगों की मौत हुई, जबकि इसकी तुलना में कोविड-19 से मरने वाले केवल 27 प्रतिशत थे.

फ्लू एक वायरल इंफेक्शन है जो खांसने और छींकने से दूसरों में फैलता है. SARS-CoV-2 के कारण होने वाली कोविड-19 की बीमारी भी ऐसे ही फैलती है. फ्लू से संक्रमित व्यक्ति तकरीबन एक सप्ताह में ठीक हो जाते हैं, जबकि कोविड-19 के मरीजों की रिकवरी में लंबा वक्त लगता है. हालांकि दोनों ही बीमारियों में 65 से साल से ज्यादा आयु के लोगों की जान को ज्यादा खतरा होता है.

फ्लू अक्सर सर्दियों के मौसम में फैलने शुरू होता है. लेकिन कोविड-19 के बारे में फिलहाल ये कहना मुश्किल होगा कि ये एक सीजनल बीमारी है. दोनों के लक्षण भी लगभग एक जैसे ही हैं, इसलिए बिना मेडिकल जांच के दोनों में फर्क ढूंढ पाना मुश्किल काम है.

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